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अभिव्यक्तियाँ

अभिव्यक्तियाँ

किस्से कहानी कविताएँ 

सब अभिव्यक्तियाँ जीवन की 

कहाँ तक साधू अपेक्षायें 

गुरुजन गुणीजन की ?

मन की बेकली है 

लिखने का प्रथम उदेश्शय 

हो जाऊ सफल जो मानकों

पर चलूँ /दूँ गहन संदेश |

बिन पथों से डिगे 

होंगी कैसे राहे प्रशस्त 

नव सृजन की ?

अलंकारों से छंदों को साधना 

क्या संकुचित बस यहीं तक 

साहित्य की आराधना 

अर्थ क्या रह जाएगा 

जो ना हो इनमें 

जीवन-तत्व अवशिष्ट |

राहों से इत्तर चले हैं कई दृष्टा 

नवज्योति जागृत कर कहलाए सृष्टा

क्या लाज़मी है ,सोचिए ,नवविधा को

कहना यूँ अपशिष्ट | 

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Comment

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Comment by गिरिराज भंडारी on March 8, 2015 at 4:24pm

आदरणीय सोमेश भाई , सारा जीवन सीखते और सीखते , और सीखे हुये  को अभिव्यक्त करने के प्रयास में बीत जाता है , फिर भी बहुत कुछ बचा ही रहता है , कहने के लिये । एक राह तू पकड चला चल , पा जायेगा मधुशाला । किसी एक विधा को पकड़िये जिसमे आप सबसे अधिक अभिव्यत कर सकते हैं । जब तक आप डायरी तक सीमित हैं किसी विधा की ज़रूरत नहीं है  पर बाहर आयेंगे तो किसी न किसी विधा की ज़रूरत तो होगी ही । और यहाँ तो हर विधा के जानकार हैं , बस आपको तय करना है क्या सीखना चाहते हैं । 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:26pm

सोमेश भाई, ऐसा लगता है अपने मन के भावों को उकेर दिया है आपने ,बधाई इस प्रस्तुति पर !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:30am

सुंदर लिखा , आदरणीय सोमेश भाई जी. निरंतरता का नाम ही जीवन है, जो सकारात्मक होना चाहिए.

Comment by somesh kumar on March 6, 2015 at 11:11pm

गुरु तुम दीपक में तारा 

तुम जलो हरो अँधियारा 

मैं जलूँ जब हो अँधियारा |

गुरु जी तुम रस्ता में राही

तुमरे कारण मंजिल पाई |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 6, 2015 at 11:20am

प्रिय सोमेश

मेरे अनुज i कुंठित हो गए -

कहाँ तक साधू अपेक्षायें 

गुरुजन गुणीजन की ? ------तपस्या में तपना तो पड़ता है  i तुम्हारे लेखन में कितना सुधार  आया है यह तुम्हे नहीं पता i  इतनी जल्दी जल्दी कहानी मत लिखो  i पहले प्लाट को अच्छी  तरह मन में गढ़ लो फिर लिखो i कहानी समाज को कुछ देती है i इसका ध्यान रखो i  तुम्हारी कहानियो से यह कविता कही अधिक  अच्छी है i मैं हतोत्साहित नहीं करता i मैं मार्ग दर्शन कर रहा हूँ i  सोचता हूँ एक कहानी मैं भी ब्लॉग में पोस्ट करूं  i ईश्वरेच्छा i  सस्नेह i

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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