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‘अजी सुनते हो ---

‘हाँ सुनाओ, ‘

‘वह मिसेज मल्होत्रा की बहू, जिसके फरवरी में बेटा हुआ था I वह बेटा निमोनिया से मर गया और हमारी जो महरिन है इसकी ननद के भी लल्ला हुआ था, वह भी तीन दिन पहले डायरिया से मर गया और अपनी बेटी की सहेली -----‘

‘--- उसका बच्चा भी मर गया होगा I’

‘हां बिलकुल ---- ‘

‘मगर यह स्टैटिक्स तुम मुझे क्यों बता रही हो ?’

‘किसे बताऊँ, एक वह अपनी पोती है I छह महीने की हो गयी, उसे जुकाम तक न हुआ I’

(मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 8:14pm

लक्ष्मण धामी जी

आपका आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 27, 2015 at 11:07am

आ० भाई गोपाल नारायण जी , यह लघुकथा तमाम आधुनिक सुविधाओं के बावजूद हमारी पिछड़ी सोच पर करारा प्रहार करती है और बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है . इस अनमोल रचना के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 7:21pm

जीतू भाई

आपके प्रोत्साहन का शुक्र्गुजार हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 7:20pm

आ० खुर्शीद जी

आपका बहुत बहुत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 7:19pm

आदरणीय सुनीता दोहरे जी

सादर आभार i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 6:55pm

बहुत महीन व् बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती लघुकथा. बधाई व् गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें, आदरणीय डा. गोपाल जी

Comment by khursheed khairadi on January 26, 2015 at 2:50pm

आदरणीय गोपाल नारायण सर , रचना भारतीय जनमानस का बहुत पुरातन रूप प्रस्तुत करने में पूरी तरह से सफल रही है ,वर्तमान में कन्या के प्रति निष्ठुरता कुछ कम हुई है |इस मार्मिक लघुकथा   की हृदयतल से प्रशंसा के साथ सादर अभिनन्दन |

Comment by sunita dohare on January 26, 2015 at 2:47pm

नारी ही नारी की दुश्मन है समाज मे व्याप्त इस कटु सत्य से अवगत कराती हुई ये लघुकथा मेरे मन में हलचल कर गयी ! अंतिम शब्दो में आकर एका एक कथा का मन पर चोट करना ही पाठक को झकझोर जाता है। सादर प्रणाम !!!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 12:49pm

आदरणीय हरि प्रकाश जी

आपकी  संस्तुति से मुझे आत्मतोष  हुआ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 12:47pm

आदरणीया कांता रॉय जी

आपका  आभार  i सादर i

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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