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“माँ वो कोठी वाली मैडम हर दीवाली पर लक्ष्मी जी के पैर बनाती हैं तू क्यूँ नहीं बनाती? इसी लिए हमारे घर लक्ष्मी नहीं आती क्या?”रिक्कू ने बड़े भोलेपन से पूछा|

”बेटा, हमारे घर भी एक बार लक्ष्मी आई थी पर तेरे बापू ने दारु के लिए उसे बेच दिया अब वो कभी नहीं आएगी”|

.

(मौलिक एवं अप्रकाशित ) 

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Comment by rajesh kumari on October 22, 2014 at 10:04pm
आ० लक्ष्मण जी,लघुकथा पर आपक अनुमोदन मेरे लिखे को सार्थक कर रहा है ,धन की लक्ष्मी की पूजा करते हैं किन्तु घर की लक्ष्मी की कोई चिंता नहीं बच्ची को पैदा होने से पहले ही मार देते हैं या बेच देते हैं ये दुर्दशा न जाने कब तक झेलेगी नारी|
हार्दिक आभार आपका सादर.
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 22, 2014 at 12:49pm

सुंदर सन्देश देती लघु कथा घर परिवार और नारियों की दुर्दशा के पीछे बहुत बड़ा कारण ये शराब का नशा ही है |

हार्दिक बधाई एवं दीपोत्सव की हार्दिक शुभ कामनाएं आदरणीया राजेश कुमारी जी 


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Comment by rajesh kumari on October 21, 2014 at 8:56pm

आ० डॉ. विजय शंकर जी,उत्साह वर्धन करती आपकी प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार. मेरा लिखना सफल हुआ दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें |


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Comment by rajesh kumari on October 21, 2014 at 8:55pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी हार्दिक धन्यवाद दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें |


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Comment by rajesh kumari on October 21, 2014 at 8:54pm

आलोक मित्तल जी हार्दिक आभार, दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें |


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Comment by rajesh kumari on October 21, 2014 at 8:54pm

आ० विजय निकोर जी ,हार्दिक धन्यवाद| दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें |


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Comment by rajesh kumari on October 21, 2014 at 8:53pm

जितेन्द्र भैया हार्दिक आभार लघु कथा के मर्म के अनुमोदन हेतु ,मेरा लिखना सार्थक हुआ ,दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें |

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 21, 2014 at 8:00pm

एक बहुत अच्छा सन्देश देती है यह लघु कथा , प्रस्तुति के लिए बधाइयां , आदरणीय राजेश कुमारी जी ,

Comment by Shyam Narain Verma on October 21, 2014 at 1:16pm

बहुत बढ़िया लघुकथा ,बधाई.................

सादर.......................

Comment by Alok Mittal on October 21, 2014 at 11:42am

एक अच्छी लघु कथा आपकी संदेश देती हुयी ...बधाई आपको

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