For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

कुण्डलिया छंद (हिंदी दिवस पर विशेष)

हिंदी निज व्यवहार में, भरती मधुर सुगंध,

देवनागरी में मिले, संस्कृति की चिरगंध |

संस्कृति की नवगंध, और सुगन्ध सी वाणी

सीखे नैतिक मूल्य, पढ़े जो हिंदी प्राणी ||

लक्ष्मण कर सम्मान, सजे माथे जो बिंदी

करती रहे प्रकाश, सरस यह भाषा हिंदी ||

(2)

आता है हिन्दी दिवस, जाने को तत्काल

अपनी भाषा का सदा उन्नत रखना भाल |

उन्नत रखना भाल,करे विकास तब भाषा

हिंदी में हो बात, रहे क्यों भाव निराशा

लक्ष्मण लो अब ठान, रहे हिंदी से नाता

यह अपना त्यौहार, दिवस हिंदी का आता |

(3)

हिंदी में ही बोलकर, छोड़े मन पर छाप,

सत्य मेव जयते लिखे, हिंदी में जब आप |

हिंदी में जब आप लिखे गजल सी गीतिका

मन को भावे तान सुने जब गान प्रीतिका

लक्ष्मण देवे मान, सजे ललाट पर बिंदी

भरे भाव के रंग, निज व्यवहार में हिंदी ||

(मौलिक व अप्रकाशित)

-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला 

Views: 440

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 18, 2014 at 10:44am

छंद पसंद करने के लिए शुक्रिया श्री खुर्शीद भाई |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 18, 2014 at 9:43am

हार्दिक आभार आपका डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी और श्री हरीवल्लभ शर्मा जी | सादर 

Comment by khursheed khairadi on September 17, 2014 at 10:18am

आदरणीय भाईसाहब बहुत सुन्दर छंद हैं ,हार्दिक अभिनन्दन |सादर 

Comment by harivallabh sharma on September 17, 2014 at 1:10am

बहुत सुन्दर कुण्डलिया छंद...बधाई आपको आदरणीय लादिवाला जी.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 15, 2014 at 7:10pm

लडीवाला जी

बहुत बेहतरीन कुण्डलिया रची आपने  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत अच्छी इस्लाह की है आपने आदरणीय। //लब-कुशाई का लब्बो-लुबाब यह है कि कम से कम ओ बी ओ पर कोई भी…"
15 seconds ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
17 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
17 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
17 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service