For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिंदी पखवाड़े/हिंदी दिवस को समर्पित कुछ ग़ज़ले

१.

देश की शान है अपनी हिंदी

फिर भी हल्कान है अपनी हिंदी

 

एक डोरी से जुड़ जाए भारत

एक अभियान है अपनी हिंदी

 

घर में अपने ही होकर पराई

आज हैरान है  अपनी हिंदी

 

अपना सिर क्यूं झुके जग में यारों

अपना अभिमान है अपनी हिंदी

 

सारी दुनिया में फहराया परचम

हिन्द की आन है अपनी हिंदी

 

हिंदी से हैं सभी हिन्दवासी

अपनी पहचान है अपनी हिंदी

 

जितना सीधा सरल मन है अपना

उतनी आसान है अपनी हिंदी

 

शारदा माँ तेरे भक्त हैं हम

तेरा वरदान है अपनी हिंदी

 

कितना ‘खुरशीद’ छाया अँधेरा

इक समाधान है अपनी हिंदी

 

२.

भारत माँ की राजदुलारी हिंदी

सबसे न्यारी सबको प्यारी हिंदी

 

ज्ञान दिया है तूने हमको कितना

हम सब हैं तेरे आभारी हिंदी

 

उत्तर-दक्षिण का झगड़ा है झूठा

चहुँदिस छाई आज हमारी हिंदी

 

अवधी पूर्वी भोज-मैथिलि उर्दू

रंग बिरंगी इक फुलवारी हिंदी

 

खेल सियासत ने खेला है कैसा

अपने ही घर में दुखियारी हिंदी

 

विजय पताका सारे जग में फहरा

अपने ही घर में क्यूं हारी हिंदी

 

सूर कबीरा तुलसी मीरा दादू

तिरे भक्त रसखान बिहारी हिंदी

 

पन्त निराला गुप्त महादेवी ने

गीत-काव्य से ख़ूब निखारी हिंदी

 

अंग्रेजीदां बाबू हर दफ़्तर में

छाँट रहे हैं इक सरकारी हिंदी

 

कंठ हार है देवी तू जन जन का

मात शारदा की अवतारी हिंदी

 

ग़ज़ल-सुमन ‘खुरशीद’ चढ़ाता है नित

तेरा सुत तुझ पर बलिहारी हिंदी

....

3.

मेरी हिंदी किसी भाषा से हरगिज कम नहीं है

मिटादे हिन्द से हिंदी किसी में दम नहीं है

 

हमारी आन है पहिचान है भाषा हमारी

अगर हिंदी नहीं है तो समझ लो हम नहीं है

 

सितम्बर के महीने में इसे क्यूं पूजते हो

अरे हिंदी है दिनचर्या कोई मौसम नहीं है

 

स्वभाषा के बिना कैसे तरक्की देश की हो

सधेंगे सुर भला कैसे अगर सरगम नहीं है

 

डराते हो हमें इंग्लिश दिखाकर साहिबों क्यूं

य’ भाषा ही तो है हज़रात कोई बम नहीं है

 

य’ नस्ले-नौ हुई गुम किस बियाबाँ में ज़बाँ के

कोई बरगद कोई पीपल कोई शीशम नहीं है

 

सियासत ने रचे झगड़े तमिल के और हिंदी के

ज़बाँ कोई मुहब्बत के बिना सालिम नहीं है

 

ग़ज़ल हिंदी ग़ज़ल उर्दू समझ का फेर है बस

कहो गंगोजमन से पाक क्या संगम नहीं है

 

सिखाई आपने ‘खुरशीद’ जी भाषा निराली

गगन पर आपके रहते कहीं पर तम नहीं है

ग़ज़ले मौलिक व अप्रकाशित हैं 

‘खुरशीद’ खैराड़ी जोधपुर ०९४१३४०८४२२

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 1, 2014 at 1:11pm

हिंदी का मान बढ़ाती हुई सभी ग़ज़लें पसंद आई आ० खुर्शीद जी आपको हार्दिक बधाई |

Comment by khursheed khairadi on September 17, 2014 at 10:28am

आदरणीय गिरिराज सा. नरेंद्र सिंह सा. गोपाल नारायण सा. आदरणीया माहेश्वरी जी महिमाश्री जी आप सभी का ह्रदय की गहराइयों से आभार |सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 15, 2014 at 12:24pm

आ. खुर्शीद भाई , मज़ा आगया , हिन्दी प्रेम में पगी आपकी ग़ज़लों के लिए दाद हाज़िर है |

Comment by Maheshwari Kaneri on September 13, 2014 at 1:04pm

  सुंदर रचना के लिए  बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 5:45pm

बहुत धुआंधार  i बार बार लगातार i

Comment by MAHIMA SHREE on September 10, 2014 at 10:49pm

क्या बात है .. हिंदी की शान में एक से बढ़ कर एक अशआर कहे आपने आदरणीय बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
40 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
47 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
49 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service