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गज़ल -- ' व्यक्तिगत सत्यों की सबको बाध्यता है '( गिरिराज भंडारी )

2122     2122     2122  

लंग सा जो भंग पैरों पर खड़ा है

हाँ, सहारा दो तो वो भी दौड़ता है

 

व्यक्तिगत सत्यों की सबको बाध्यता है  

कौन कैसा क्यों है, ये किसको पता है

 

दानवों सा इस जगह जो लग रहा है

सच कहूँ ! कुछ के लिये वो देवता है

 

सत्य सा निश्चल नही अब कोई आदम

मौका आने पर स्वयम को मोड़ता है

 

आप अपनी राह में चलते ही रहिये

बोलने वाला तो यूँ भी बोलता है

 

उनकी क़समों का भरोसा क्या करुं मै

राज अपने कौन किसपे खोलता है

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2014 at 1:52pm

आदरणीया प्राची जी , बुखार के कारण आपकी प्रतिक्रिया देर से देख पाया , क्षमा करेंगे ॥ ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करेने के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 9, 2014 at 1:51pm

आदरनीय सौरभ भाई , बुखार के कारण आपकी प्रतिक्रिया देर से देख पाया , क्षमा करेंगे !! ग़ज़ल की सराहाना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 2, 2014 at 9:09am

दानवों सा इस जगह जो लग रहा है

सच कहूँ ! कुछ के लिये वो देवता है................बहुत खूबसूरत

.

बढ़िया ग़ज़ल हुई है 

हार्दिक बधाई आ० गिरिराज भंडारी जी 

सादर. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2014 at 2:51am

सफल सटीक सार्थक ग़ज़ल के लिए ढेर सारी दाद कुबूल कीजिये, आदरणीय गिरिराजभाई.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 4:52pm

आदरणीय सत्यनारायण भाई , आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by Satyanarayan Singh on May 1, 2014 at 11:42am

इस शानदार ग़ज़ल के प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें वैसे हर शेर अपने आप में बेमिसाल है किन्तु निम्न शेर बहुत ही पसंद आया आदरणीय अतएव विशेष बधाई.

दानवों सा इस जगह जो लग रहा है

सच कहूँ ! कुछ के लिये वो देवता है

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 28, 2014 at 2:07pm

आदरणीया बड़े भाई विजय जी , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 28, 2014 at 2:06pm

आदरणीया सरिता जी आपका बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 28, 2014 at 2:05pm

आदरणीय सलीम भाई , आपकी परिक्रिया ने मेरा उत्साह बढा दिया !! सराहना के लिये आपका आभार ॥

Comment by vijay nikore on April 28, 2014 at 11:37am

सभी अशआर अच्छे लगे। आपको बधाई।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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