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चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं

212  212  212  212

चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं

हसरतें तेरी ही इन निगाहों में हैं

 

कुर्बतें वो तबस्सुम तेरी शोखियाँ

बस यही साअतें मेरी यादों में हैं

 

अपने आँचल से तूने हवा दी जिन्हें

वो शरारे हरिक सिम्त राहों में हैं

 

जो सिवा अपने सोचें किसी और की

अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं

 

कुछ खबर ले कोई आके इनकी ज़रा

कितनी बेचैनियाँ ग़म के मारों में हैं

 

साअत= क्षण, पल, लम्हा

अज़्मत= महानता

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by शिज्जु "शकूर" on April 28, 2014 at 1:44pm

आदरणीय बैद्यनाथ जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on April 28, 2014 at 1:44pm

आदरणीय चन्द्रशेखर जी आपका हार्दिक आभार आपकी शंका सही है कायदे से यहाँ ईता दोष होना तो चाहिये इस तरह का प्रयोग मैने देखा तो एक प्रयोग मैंने भी कर लिया कितना सही है ये गुणीजन बतायेंगे

Comment by Saarthi Baidyanath on April 21, 2014 at 2:46pm

बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल ...वाह साहब 

कुर्बतें वो तबस्सुम तेरी शोखियाँ

बस यही साअतें मेरी यादों में हैं

कुछ खबर ले कोई आके इनकी ज़रा

कितनी बेचैनियाँ ग़म के मारों में हैं.....जिंदाबाद 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on April 21, 2014 at 2:13pm

चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं

हसरतें तेरी ही इन निगाहों में हैं

गजल के भाव अच्छे लगे आ0 पर क्या क्या// किताबों और निगाहों // के रूढ शब्द //किताब और निगाह// हम काफ़िया हैं? क्या ये ईताए जली जैसा कोई दोष नहीं लग रहा? कृपया मार्गदर्शन करें। सादर।


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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 20, 2014 at 9:26am

आदरणाय गुमनाम जी बहुत बहुत शुक्रिया


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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 20, 2014 at 9:26am

आदरणीया राजेश दीदी हौसलाअफ़्ज़ाई के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 7, 2014 at 10:29pm

चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं

वाह सर जी खूबसूरत मिसरा ,,,,,,,,,,,,,,,,, अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई


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Comment by rajesh kumari on February 7, 2014 at 10:00pm

अपने आँचल से तूने हवा दी जिन्हें

वो शरारे हरिक सिम्त राहों में हैं-----वाह ...शानदार शेर 

बहुत बढ़िया ग़ज़ल ....तहे दिल से दाद कबूलें 

 


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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 7, 2014 at 8:57pm

आदरणीया डॉ प्राची जी रचना की सराहना के लिये आपका आभार 


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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 7, 2014 at 8:56pm

आदरणीय सौरभ सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया

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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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