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मुझसे मोहब्बत ये ज़माने से छुपाते हो

ख्वाबों में मेरे आकर खुद ही तो बताते हो
है मुझसे मोहब्बत ये ज़माने से छुपाते हो

बढ़ जाती है क्यूँ धड़कन कभी दिल से ये पूछा है
रुक जाते हो क्यूँ मिलकर कभी दिल से ये सोचा है
फिर भी मेरा ये इश्क क्यूँ किताबी बताते हो

ये दिल का मसअला है , दिल से ही ये सुलझेगा
ज़ज़्बात की बातों से , ये और भी उलझेगा
उलफत भी है मुझसे और मुझको ही सताते हो

महफ़िल में हज़ारों की , तन्हाई में रहते हो
कहते हो नही फिर भी क्या-क्या नहीं कहते हो
करते हो सितम खुद पे मुझको भी रुलाते हो

शायद पढ़ा है तुमने मेरे ख़त को अकेले में
खोए हो तभी देखो तुम ख्वाबों के मेले में
है "इश्क" यही जिसको तुम मुझसे छुपाते हो


अमुद्रित एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by ajay sharma on December 23, 2013 at 11:36pm

बढ़ जाती है क्यूँ धड़कन कभी दिल से ये पूछा है 
रुक जाते हो क्यूँ मिलकर कभी दिल से ये सोचा है

ये मेरा इश्क फिर भी तुम किताबी क्यूँ बताते हो

aaj mai bahut hi khush hoo ,,,,,,isliye ki OBO me aane ke baad jitni bhi rachnaye post ki , aur comments me sudhar aur parivartna ka sujhav bhi  diya gaya par ,,,,,kisi  me sujhav likh kar mera margdarshan nahi kiyaa ......aaj  mai avibhoot hooo.....ki apne sudhar ko swayam sujhaya.....hardik dhanyavad...apko ....arun ji................meri aur bhi posts me yadi koi metre dosh ho to ....bataye avashya ......

Comment by annapurna bajpai on December 23, 2013 at 6:19pm

आ0 अजय जी इस भाव पूर्ण गजल के लिए बधाई आपको । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 23, 2013 at 1:17pm

आदरणीय अजय भाई जी आपकी रचनाओं का भाव पक्ष बहुत सुन्दर होता है प्रवाह में थोड़ी कमी दीखती है. शब्दों को थोडा फेर बदल करने से ये समस्या भी हल हो जाएगी. उदहारण के लिए देखिये आपकी ही ये पंक्ति. सतत प्रयासरत रहें इस रचना हेतु बधाई स्वीकारें.

ये मेरा इश्क फिर भी तुम किताबी क्यूँ बताते हो

Comment by ajay sharma on December 20, 2013 at 9:49pm

pahli baar koshish ki kuch purani jani , anjani yaade / baate taza ho jaye,.....bhali lagi ....dili shukriya ....sabhi sudhijano ka............  


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Comment by गिरिराज भंडारी on December 20, 2013 at 9:11pm

आदरणीय अजय भाई , मोहब्बत के ज़ज्बे को बहुत अच्छे से बयान किया है , एक अच्छी रचना के लिये आपको बधाई ॥

Comment by Tapan Dubey on December 20, 2013 at 7:55pm
क्या बात क्या बात बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on December 20, 2013 at 3:34pm
बहुत ही सुन्दर ,  हार्दिक बधाई आपको …………..
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 20, 2013 at 1:58pm

अजसी शर्मा जी

बड़े जवां और दिलकश जज्बात हैं i आपको  बहुत बहुत बधाई i

Comment by coontee mukerji on December 20, 2013 at 1:17pm

महफ़िल में हज़ारों की , तन्हाई में रहते हो
कहते हो नही फिर भी क्या-क्या नहीं कहते हो
करते हो सितम खुद पे मुझको भी रुलाते हो........खूब सुंदर...........यह सब बातें कालेज के ज़माने में खूब होती है. शुभकामनाएँ

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