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मुक्तक ( आधार छंद - हंसगति )

मुक्तक
आधार छंद हंसगति  (11,9 )

प्रीतम   तेरी  प्रीत , बड़ी   हरजाई ।
   विगत पलों की याद, बनी दुखदाई ।
      निष्ठुर  तेरा  प्यार , बहुत  तड़पाता -
           तन्हाई में  आज, आँख  भर  आई ।

                        * * *
दिल से दिल की बात, करे दिलवाला ।
    मस्ती  में  बस  प्यार , करे  मतवाला ।
        उसके ही बस गीत , सुनाता  मन  को -
             पी कर हो  वो  मस्त , नैन  की  हाला ।

सुशील सरना / 15-6-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna on June 20, 2022 at 11:48am
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
Comment by Sushil Sarna on June 20, 2022 at 11:48am
आदरणीय नाथ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 17, 2022 at 4:50pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on June 17, 2022 at 12:50pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। इस छन्द को पहली बार पढ़ रहा हूँ। मस्त लगा। हृदयतल से आभार आपका। 

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