For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूँ जो दिल खोलकर मिल रही हो तुम

यूँ जो दिल खोलकर मिल रही हो तुम 

लगता है के अब मैं तुमको बिल्कुल याद नही 

ऐसा होता है निकाह के बाद अक्सर 

ऐसा होने मे कोइ गलत बात नही 

अब मेरे खयालों से आज़ाद हो तुम 

किसी और के साथ आबाद हो तुम 

पर तुम पर ही खत्म होता है इश्क़ मेरा 

मेरे पहले मोहब्बत की याद हो तुम 

मैं अचरज़ मे हूँ तुमने ये क्या कर दिया 

अपने बच्चे  का नाम मुझपर रख दिया 

क्या कहकर शौहर  कैसे मनाया होगा 

ना जाने कौन सा किस्सा सुनाया होगा 

अब ये सोचता हूँ मैं रोज़ क्यों हिचकता हूँ 

पानी भी जो पीता हूँ तो क्यों सरकता हूँ 

क्या खुब लिया है बदला मेरी जुदाई का 

मुझे हिस्सा बना लिया है अपनी तनहाई का 


चलो फिर मैं भी अपना घर बसाता हूँ 

अपने किस्मत को मैं भी आजमाता हूँ 

कभी खिले कोई कली या फूल हो पैदा 

उसे फिर मैं भी तेरे नाम से बुलाता हूँ

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

Views: 193

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 165 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
11 minutes ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी वाह बेहतरीन प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Tuesday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 154

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ चौवनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"छोटी बह्र पर अच्छी ग़ज़ल  ! दूसरे शे'र का सानी यूँ बेहतर होता , ' बजा पात देती है…"
Tuesday
दिनेश कुमार commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय समर साहब। ठीक करता हूं।  देर से रिप्लाई के लिए माफ़ कीजिएगा।"
Mar 9
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Mar 8
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Mar 8
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनारायण जी अभिवादन। गजल पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Mar 7
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Mar 7
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Usha Awasthi's blog post धूम कोहरा
"आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 6
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल - ये जो खंडरों सा मकान है
"बहुत बहुत शुक्रिया आ धामी सर ग़ज़ल पर आपकी बधाई के लिए 🙏"
Mar 6

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service