For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उम्मीद .......

मैं जानती हूँ
बन्द साँकल में
कोई आवाज नहीं होती
मगर होती हैं उसमें
उम्मीद की सीढ़ियों पर सोयी
अनगिनत प्यासी उम्मीदें
किसी के लौट आने की

मैं ये भी जानती हूँ
कि उम्मीद के दामन में
दर्द के सैलाब होते हैं
कुछ हसीन ख़्वाब होते हैं
साँझ के साथ
उम्मीद भी जवान होती है
शब
इन्तज़ार के पैरहन में रोती है
जानती हूँ
उम्मीद झूठी होती है
मगर दिल की बसती में
उम्मीद तो उम्मीद होती है

नज़र की ख़ामोशी
ख़ामोश साँकल से बात करती है
किसी दस्तक की फरियाद करती है
तन्हाई से गुफ़्तगू होती है
झूठ ही सही
मगर
उम्मीद तो उम्मीद होती है

सुशील सरना / 15-9-21
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 23, 2021 at 8:50pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
Comment by Samar kabeer on September 22, 2021 at 11:21am

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on September 17, 2021 at 9:37pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 17, 2021 at 8:25am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई। 

Comment by Sushil Sarna on September 15, 2021 at 9:43pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । आप की बात में दम है सर लेकिन मेरे सृजन का पात्र इसको झूठ मानने के बावजूद उम्मीद रखता है । सादर नमन सर हार्दिक आभार
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 15, 2021 at 6:48pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी पर्वाज़ ली है, कविता भावपूर्ण हुई है।

मगर अन्त 'झूठ ही सही' से क्यों? 'आभासी ही सही' या 'ख़याली ही सही' से होना चाहिए। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
5 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
7 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
12 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
17 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
19 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
23 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
25 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बारीकी से इस्लाह व ज़र्रा-नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया आ इक नज़र ही काफी है आतिश-ए-महब्बत…"
35 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें"
49 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service