For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अन्नदाता के लिए -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)

२१२२/२१२२/२१२२/२१२२/२१२


बाढ़-सूखा सूदखोरी  हर  समय  डर अन्नदाता के लिए
कौन सी सरकार चिन्तित है यहा पर अन्नदाता के लिए।१।
**
हर समय उद्योगपतियों की उन्हें चिन्ता सताती है मगर
खोज पाये संकटों का हल न अफसर अन्नदाता के लिए।२।
*
कर के उद्यम से यहा तैयार उसको नित्य बोता है उपज
मायने रखता नहीं कुछ  खेत  ऊसर अन्नदाता के लिए।३।
*
नित्य भूखे पेट सोता  है  उपज  को वो बचाने खेत में
डालिए मत राह में अब और पत्थर अन्नदाता के लिए।४।
*
खा गयी नहरें  सियासत  कर्ज  ने छीने रहट सब दोस्तो
आ न पायी और बदली भी समय पर अन्नदाता के लिए।५।
*
ये सियासत राख  की  ढेरी  अगर  है तो हमारी है दुआ
आग जन्मे रोज हित में सबके अन्दर अन्नदाता के लिए।६।

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 1061

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2020 at 3:12pm

आ. भाई दण्डपाणि नाहक जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 27, 2020 at 6:48pm

आ. भाई ब्रिजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 25, 2020 at 11:56am

बड़ी ही खूब असरदार ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 17, 2020 at 12:11pm

आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 17, 2020 at 10:15am

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , बधाई ग़ज़ल के लिए , सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2020 at 1:33pm

आ. भाई समर जी, गजल पर पुनः उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार ।

Comment by Samar kabeer on December 16, 2020 at 11:48am

बदलाव भी ठीक हैं,और नए अशआर भी, बधाई ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2020 at 6:51am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । दो नये शेर और जोड़े हैं इन्हें भी देखिएगा । सादर...

एक तो विपरीत मौसम उस पे ये शोषक व्यवस्था का सितम
आज लगता खो गये हैं सारे अवसर अन्नदाता के लिए।७।
कर्ज सूखा बाढ़ शोषण और ओले साथ में सल्फास भी
जाने क्या क्या चुन रहा है ईश ऊपर अन्नदाता के लिए।८।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2020 at 6:33am

आ. भाई समर कबीर जी सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति प्रशंसा व मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों को इस प्रकार बदलाव किया है देखियेगा ।

कौन सी सरकार चिन्तित है यहाँ अब अन्नदाता के लिए।१।

अर्थ यूँ रखता नहीं कुछ  खेत  ऊसर अन्नदाता के लिए।३।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2020 at 6:30am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
17 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service