For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीड़ा के दोहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

मन को इतना  दे  गये, अपने  ही अवसाद
नाम पते सड़कें गली, क्या रक्खें अब याद।१।
**
जीवन जिसको रेतघर, बादल क्या दे नीर
उसको तो हर हाल में, मिलनी है बस पीर।२।
**
भूखा बेघर रख रहा, क्या कम यहाँ अभाव
उस पर करता रात - दिन, मँहगाई पथराव।३।
**
थकन बढ़ी है पाँव की, छालों के आसार
मिले कहाँ आराम को, तरुवर छायादार।४।
**
भले उजाले का हुआ, बहुत जगत भर शोर
दीपक नीचे  क्यों  रहा, तमस  भरा घनधोर।५।
**
आँसू अपने  डाल  दो, उस आँचल में और
हर दुख पर जो नित करे, माँ के जैसा गौर।६।
**
खोजा करें वसंत को, जो पतझड़ को पाल
जीवन कैसे हो भला, फिर उनका खुशहाल।७।

मौलिक/अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2020 at 9:16am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए धन्यवाद ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 7, 2020 at 8:38am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। बेहतरीन दोहे।

मन को इतना  दे  गये, अपने  ही अवसाद
नाम पते सड़कें गली, क्या रक्खें अब याद।१।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2020 at 12:21pm

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति, स्नेह व प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2020 at 12:19pm

आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 4, 2020 at 12:17pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब, बहुत शानदार दोहे हुए हैं दाद के साथ बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 4, 2020 at 11:28am

 आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार , लाजबाब दोहे आपके 

उस पर करती  रात - दिन, मँहगाई पथराव।३। लाजबाब 
**

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2020 at 9:28am

आ. भाई विजय शंकर जी, सादर अभिवादन । दोहों पर उपस्थिति, स्नेह व प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 4, 2020 at 8:12am

आँसू अपने डाल दो, उस आँचल में और
हर दुख पर जो नित करे, माँ के जैसा गौर।६।
आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , बहुत सुन्दर , सभी दोहे , हार्दिक बधाई , सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service