आदरणीय विनय जी, व्यंग्य चित्र के कैप्शन में निपटने के यमक अलंकार ने आपके चैतन्य भाव को बखूबी बखाना है. इस तल्ख़ पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें. आदरणीय.
दूसरे व्यंग्य चित्र के माध्यम से ’उन’ साहबान को पूरा संदेश जा रहा है कि ’वे’ महोदय वाकई कुतुबमिनार से कूद जायें.
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Vinay Kull's Comments
Comment Wall (201 comments)
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लालू गति ...वाह क्यां कहने अति सुन्दर :-) मन तरंगित है आदरणीय !!
एक और सामयिक सशक्त सटीक व्यंग्य चित्र की प्रस्तुति के लिए हार्दिक साधुवाद आदरणीय !!
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
शानदार व्यंग चित्र
खाद्य पदर्थों की महँगाई के चलते पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म न कर सकने की विवशता... वाह! बहुत सामयिक और सटीक!
साथ ही चित्रांकन भी बहुत पसंद आया
हार्दिक बधाई इस व्यंग चित्र पर
अगर हिंदी में कहूं तो आपका ताज़ा कार्टून बहुत इफेक्टिव है , कोंग्रेचुलेशन !
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
हाहाहा! जबरदस्त कार्टून्स वाह
दोनों ही व्यंग चित्र बहुत पसंद आये
इन शानदार हास्य चित्रों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
वाह वाह मज़ा आ गया श्री विनय जी .. :-) तीज मुबारक !!
कौन यहाँ समझेगा सब कुछ खोने का दर्द। मीडिया को अपनी पड़ी नेता हैं बेदर्द || badhayi vinay jee
विनय भाई - चित्र अच्छे लगे, क्र. 1,2, 5, 6 तो अदभुत है। बधाई
वाह भीषण विपदा में भी हास्य के क्षण अंकित करने की इस कला आपकी तूलिका को नमन है आदरणीय ! बहुत लाजवाब चित्र क्या कहने वाह !!
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
आदरणीय विनय कुल जी
बहुत शानदार व्यंगचित्र
वाह.... पुतला भी जला दें और मुद्दा भी न बने...... इससे तो स्थगित करना ही भला.
आभार
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
हाहाहा बहुत खूब सीख दी जा रही है बेटे को...सही है ऐसी नेतागिरी जैसा उज्जवल कैरियर आज दूसरा कहाँ..
बहुत बढिया व्यंग चित्र
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
हा हा हा हा !
अब तो दर्शन ही करेगा आम आदमी ८० रु० किलो प्याज के..
बहुत सुन्दर व्यंग चित्र
सादर.
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आदरणीय विनय जी, व्यंग्य चित्र के कैप्शन में निपटने के यमक अलंकार ने आपके चैतन्य भाव को बखूबी बखाना है. इस तल्ख़ पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें. आदरणीय.
दूसरे व्यंग्य चित्र के माध्यम से ’उन’ साहबान को पूरा संदेश जा रहा है कि ’वे’ महोदय वाकई कुतुबमिनार से कूद जायें.
सादर
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
आदरणीय विनय कुल जी
दोनों ही व्यंग चित्र बहुत बढ़िया है..
संसद से मंत्रियों के वक्तव्यों को जिस बेचारगी से व्यक्त किया गया है बहुत सामयिक है
और कड़ाई नें परोक्ष रूप से क्या व्यंग बाण कसा है..वाह
बहुत सुन्दर व्यंग चित्रों के लिए सादर धन्यवाद.
वाह वाह विनय जी क्या कहने बहुत खूb व्यंग्य चित्र है आदरणीय !!
वाह आदरणीय विनय जी ये अंदाज़ भी मन को भा गया ! बहुत खूब व्यंग्य किया है महंगाई पर !!
सदस्य कार्यकारिणीrajesh kumari said…
हाहाहा सच में सब्जियों के भाव से बेहोशी तो आ ही जायेगी ,शानदार कार्टून बधाई आपको
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
आपदा के बजट पर मन ही मन उछलने वाले अधिकारियों का सामयिक व्यंग-चित्र
यथार्थ चित्रण
सादर.
वाह विनय जी बहुत खूब .....ये जनाब उत्तराखंड के कोई बड़े अधिकारी लगते हैं.....
किसी की जान की आफ़त बनती है तो किसी को बीवी के मनोरंजन कराने को सूजता है. बहुत अच्छा कार्टून है.
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