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१२२२ / १२२२ / १२२२ / १२२२
मुफाईलुन / मुफाईलुन / मुफाईलुन / मुफाईलुन
बहर ए हजज मुसम्मन सालिम
न मैं तुम से / कोई उम्मी / द रक्खू दिल / नवाज़ी की
न तुम मेरी / तरफ देखो / ग़लत अंदा / ज़ नज़रों से
न मेरे दिल / की धड़कन लड़ / खड़ाये मे / री बातों से
न जाहिर हो / तुम्हारी कश् / मकश का रा / ज नजरों से
तुम्हें भी को / ई उलझन रो / कती हैं पे / शकदमी से
मुझे भी लो / ग कहते हैं / की ये जलवे / पराये हैं
मेरे हमरा / ह भी रुसवा / ईयाँ हैं मे / रे माझी की
तुम्हारे सा / थभी गुज़री / हुई रातों / के साये हैं
मेरे खयाल से ये ग़ज़ल के अशआर न हो कर नज़्म के अशआर हैं .........
डॉ आशुतोष जी... आपका बहुत बहुत धन्यवाद .... यह मित्रों की दुवाएं ही हैं कि हम कुछ खास हुए जाते है... पुनः धन्यवाद
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