Comments - अकेलापन —डॉo विजय शंकर - Open Books Online2024-03-28T17:30:58Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A995730&xn_auth=noआदरणीय फूल सिंह जी , कविता स्…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-08:5170231:Comment:9959432019-11-08T13:58:14.636ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय फूल सिंह जी , कविता स्वीकृति प्रदान करने के लिए आभार एवं बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय फूल सिंह जी , कविता स्वीकृति प्रदान करने के लिए आभार एवं बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद , सादर।</p> डॉ साहब बहुत सुंदर रचना बधाई…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-08:5170231:Comment:9957702019-11-08T07:29:19.624ZPHOOL SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/PHOOLSINGH
<p>डॉ साहब बहुत सुंदर रचना बधाई स्वीकारे</p>
<p>डॉ साहब बहुत सुंदर रचना बधाई स्वीकारे</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी “मुसाफिर”…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-08:5170231:Comment:9959332019-11-08T02:33:09.677ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी “मुसाफिर” जी , कविता स्वीकर करने के लिए आभार एवं बधाई के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी “मुसाफिर” जी , कविता स्वीकर करने के लिए आभार एवं बधाई के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।</p> आ. भाई विजय जी, अच्छी प्रस्तु…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-08:5170231:Comment:9956762019-11-08T01:40:43.997Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई विजय जी, अच्छी प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई विजय जी, अच्छी प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय सुरेद्रनाथ सिंह जी , क…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-08:5170231:Comment:9956752019-11-08T01:35:09.792ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय सुरेद्रनाथ सिंह जी , कविता स्वीकर करने के लिए आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय सुरेद्रनाथ सिंह जी , कविता स्वीकर करने के लिए आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।</p> आद0 डॉ. विजय शंकर जी सादर अभ…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-07:5170231:Comment:9957582019-11-07T17:24:49.983Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 डॉ. विजय शंकर जी सादर अभिवादन। बढ़िया प्रस्तुति है। इस रचना के बाबत आद0 अग्रज समर साहब के बातों से मैं भी सहमत हूँ। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर</p>
<p>आद0 डॉ. विजय शंकर जी सादर अभिवादन। बढ़िया प्रस्तुति है। इस रचना के बाबत आद0 अग्रज समर साहब के बातों से मैं भी सहमत हूँ। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर</p> आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-07:5170231:Comment:9957562019-11-07T15:50:31.808ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , आपकी प्रतक्रिया इसी लिए तो प्रतीक्षित रहती है कि कहीं भी कुछ क्षीणता हो आप न केवल पकड़ लेते हैं , सुझाव भी सुन्दर देते हैं , बहुत बहुत आभार , आगे से पूरा ध्यान रखूँगा। कविता स्वीकृति प्रदान करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , आपकी प्रतक्रिया इसी लिए तो प्रतीक्षित रहती है कि कहीं भी कुछ क्षीणता हो आप न केवल पकड़ लेते हैं , सुझाव भी सुन्दर देते हैं , बहुत बहुत आभार , आगे से पूरा ध्यान रखूँगा। कविता स्वीकृति प्रदान करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।</p> जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कव…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-07:5170231:Comment:9959252019-11-07T06:18:27.680ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कविता का मफ़हूम अच्छा है,लेकिन हर दूसरी पंक्ति में 'है' का दुहराव कविता को कमज़ोर कर रहा है,मुझे इस कविता में आपका ख़ास अंदाज़ देखने को नहीं मिला, हो सकता है ये मेरी अपनी सोच का नतीजा हो,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कविता का मफ़हूम अच्छा है,लेकिन हर दूसरी पंक्ति में 'है' का दुहराव कविता को कमज़ोर कर रहा है,मुझे इस कविता में आपका ख़ास अंदाज़ देखने को नहीं मिला, हो सकता है ये मेरी अपनी सोच का नतीजा हो,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय सुशील सरना जी , रचना क…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-05:5170231:Comment:9956622019-11-05T16:06:23.046ZDr. Vijai Shankerhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrVijaiShanker
<p>आदरणीय सुशील सरना जी , रचना को स्वीकार कर मान देने के लिए एवं बधाई के आभार एवं धन्यवाद , सादर।The </p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी , रचना को स्वीकार कर मान देने के लिए एवं बधाई के आभार एवं धन्यवाद , सादर।The </p> वाह आदरणीय डॉ विजय शंकर जी वा…tag:www.openbooksonline.com,2019-11-05:5170231:Comment:9958272019-11-05T11:26:58.862ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>वाह आदरणीय डॉ विजय शंकर जी वाह , बहुत खूब .. अकेलेपन की व्यथा को चित्र्ति करती अति सुंदर रचना। दिल से बधाई।</p>
<p>वाह आदरणीय डॉ विजय शंकर जी वाह , बहुत खूब .. अकेलेपन की व्यथा को चित्र्ति करती अति सुंदर रचना। दिल से बधाई।</p>