Comments - ग़ज़ल..डरावनी सी रात थी बड़ा अजीब ख्वाब था-बृजेश कुमार 'ब्रज' - Open Books Online2024-03-28T21:21:07Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A994038&xn_auth=noआदरणीय धामी जी ग़ज़ल पे आपकी उप…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-15:5170231:Comment:10148942020-08-15T14:13:38.254Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय धामी जी ग़ज़ल पे आपकी उपस्थित उत्साहबर्धक है...हार्दिक आभार आपका</p>
<p>आदरणीय धामी जी ग़ज़ल पे आपकी उपस्थित उत्साहबर्धक है...हार्दिक आभार आपका</p> आ. भाई ब्रिजेश जी, सुंदर गजल…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-16:5170231:Comment:9945222019-10-16T14:23:30.259Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई ब्रिजेश जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई ब्रिजेश जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आपका उत्साहवर्धन अति महत्वपूर…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-12:5170231:Comment:9942602019-10-12T04:48:15.376Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आपका उत्साहवर्धन अति महत्वपूर्ण है आदरणीय समर जी..आपके बताये अनुसार सुधार करता हूँ..कई बार की पेड ऐसी समस्याएं उत्पन्न कर देता है।लेकिन आपकी बारीक़ नज्र नहीं...</p>
<p>आपका उत्साहवर्धन अति महत्वपूर्ण है आदरणीय समर जी..आपके बताये अनुसार सुधार करता हूँ..कई बार की पेड ऐसी समस्याएं उत्पन्न कर देता है।लेकिन आपकी बारीक़ नज्र नहीं...</p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी...आपके…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-12:5170231:Comment:9943362019-10-12T04:44:59.384Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी...आपके सुन्दर मनोहारी शब्दों के लिए हार्दिक अभिनदंन वंदन...</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी...आपके सुन्दर मनोहारी शब्दों के लिए हार्दिक अभिनदंन वंदन...</p> आदरणीय सुशील जी ग़ज़ल पे आपकी उ…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-12:5170231:Comment:9942582019-10-12T04:44:06.794Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय सुशील जी ग़ज़ल पे आपकी उपस्थित और हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया...</p>
<p>आदरणीय सुशील जी ग़ज़ल पे आपकी उपस्थित और हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया...</p> जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आद…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-11:5170231:Comment:9940582019-10-11T14:03:39.864ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'चमन में छा रही थी बेशुमार बदहवासियां'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'थी' को "थीं" कर लें ।</span></p>
<p><span>'फ़िजूल थे सवाल और चीखना फ़िजूल 'ब्रज'</span></p>
<p><span>ख़मोशियाँ कमाल थी हरेक लाजबाब था'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में 'फ़िज़ूल' को "फ़ुज़ूल" कर लें,और सानी में 'थी' को "थीं" कर लें ।</span></p>
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'चमन में छा रही थी बेशुमार बदहवासियां'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'थी' को "थीं" कर लें ।</span></p>
<p><span>'फ़िजूल थे सवाल और चीखना फ़िजूल 'ब्रज'</span></p>
<p><span>ख़मोशियाँ कमाल थी हरेक लाजबाब था'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में 'फ़िज़ूल' को "फ़ुज़ूल" कर लें,और सानी में 'थी' को "थीं" कर लें ।</span></p> हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कुम…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-11:5170231:Comment:9943172019-10-11T05:39:37.954ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>बृजेश कुमार 'ब्रज' </span>जी। वर्तमान हालात पर तंज करती बेहतरीन गज़ल। शानदार कटाक्ष।</p>
<p><span>चमन में छा रही थी बेशुमार बदहवासियां</span><br/><span>न टेसुओं पे नूर था न सुर्खरू गुलाब था</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>बृजेश कुमार 'ब्रज' </span>जी। वर्तमान हालात पर तंज करती बेहतरीन गज़ल। शानदार कटाक्ष।</p>
<p><span>चमन में छा रही थी बेशुमार बदहवासियां</span><br/><span>न टेसुओं पे नूर था न सुर्खरू गुलाब था</span></p> निगाह में उदासियां छुपा हुआ अ…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-10:5170231:Comment:9942252019-10-10T11:41:53.707ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>निगाह में उदासियां छुपा हुआ अज़ाब था</p>
<p>डरावनी सी रात थी बड़ा अजीब ख्वाब था</p>
<p>दिखी नहीं कली कहीं ख़ुशी से कोई झूमती</p>
<p>लबों लबों कराह और आँख आँख आब था</p>
<p>आदरणीय बृजेश जी बहुत ही खूबसूरत अहसासों को समेटे इस ग़ज़ल के दिल से बधाई।</p>
<p>निगाह में उदासियां छुपा हुआ अज़ाब था</p>
<p>डरावनी सी रात थी बड़ा अजीब ख्वाब था</p>
<p>दिखी नहीं कली कहीं ख़ुशी से कोई झूमती</p>
<p>लबों लबों कराह और आँख आँख आब था</p>
<p>आदरणीय बृजेश जी बहुत ही खूबसूरत अहसासों को समेटे इस ग़ज़ल के दिल से बधाई।</p>