Comments - अहसास की ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T05:58:50Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A992946&xn_auth=noबहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबी…tag:www.openbooksonline.com,2019-10-04:5170231:Comment:9939572019-10-04T11:18:52.290Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब</p>
<p>आपकी बहुमूल्य इस्लाह के बिना ग़ज़ल अधूरी रह जाती है</p>
<p>आशीर्वाद बनाये रखिये</p>
<p>सादर</p>
<p>बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब</p>
<p>आपकी बहुमूल्य इस्लाह के बिना ग़ज़ल अधूरी रह जाती है</p>
<p>आशीर्वाद बनाये रखिये</p>
<p>सादर</p> जनाब मनोज कुमार अहसास जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2019-09-29:5170231:Comment:9935552019-09-29T05:47:38.156ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज कुमार अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'आज शिकायत लाख तुझे पर आखिर यही हकीकत है<br/>अपनी आंखों से तुमने 'अहसास' का सपना देखा था'</p>
<p>इस शैर में शुतरगुरबा का दोष देखें ।</p>
<p>जनाब मनोज कुमार अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'आज शिकायत लाख तुझे पर आखिर यही हकीकत है<br/>अपनी आंखों से तुमने 'अहसास' का सपना देखा था'</p>
<p>इस शैर में शुतरगुरबा का दोष देखें ।</p>