Comments - बह्र-ए-वाफ़िर मुरब्बा सालिम (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-28T23:24:08Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A987500&xn_auth=no//मिली थी ख़ता, हुई जो ख़फ़ा,बता…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-20:5170231:Comment:9884552019-07-20T13:21:36.668ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>//मिली थी ख़ता, हुई जो ख़फ़ा,<br/>बताई न क्या, खराबी मिली"</p>
<p>मेरे ख़याल में इस शैर को यूँ कर सकते हैं:-</p>
<p></p>
<p>'कभी वो मुझे,बताए ज़रा</p>
<p>जो मुझ में उसे,ख़राबी मिली'</p>
<p>//मिली थी ख़ता, हुई जो ख़फ़ा,<br/>बताई न क्या, खराबी मिली"</p>
<p>मेरे ख़याल में इस शैर को यूँ कर सकते हैं:-</p>
<p></p>
<p>'कभी वो मुझे,बताए ज़रा</p>
<p>जो मुझ में उसे,ख़राबी मिली'</p> आदरणीय समर साहिब बहुत आभार। क…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-20:5170231:Comment:9884452019-07-20T07:23:59.571Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://www.openbooksonline.com/profile/Basudeo
<p>आदरणीय समर साहिब बहुत आभार। क्या उस शेर की जगह यह ठीक रहेगा।</p>
<p>मिली थी ख़ता, हुई जो ख़फ़ा,<br/>बताई न क्या, खराबी मिली।</p>
<p></p>
<p></p>
<p>आदरणीय समर साहिब बहुत आभार। क्या उस शेर की जगह यह ठीक रहेगा।</p>
<p>मिली थी ख़ता, हुई जो ख़फ़ा,<br/>बताई न क्या, खराबी मिली।</p>
<p></p>
<p></p> आदरणीय अजय तिवारी जी बहुत आभा…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-20:5170231:Comment:9876752019-07-20T06:41:26.634Zबासुदेव अग्रवाल 'नमन'http://www.openbooksonline.com/profile/Basudeo
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी बहुत आभार।</p>
<p>आदरणीय अजय तिवारी जी बहुत आभार।</p> जनाब बासुदेव जी आदाब,ग़ज़ल का अ…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-20:5170231:Comment:9876732019-07-20T06:31:52.426ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बासुदेव जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करे ।</p>
<p>जनाब अजय जी की बात का संज्ञान लें ।</p>
<p>जनाब बासुदेव जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करे ।</p>
<p>जनाब अजय जी की बात का संज्ञान लें ।</p> आदरणीय बासुदेव जी,
'हुई क्य…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-20:5170231:Comment:9884402019-07-20T04:49:36.750ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय बासुदेव जी, </p>
<p></p>
<p><span>'हुई <strong>क्यों</strong> ख़फ़ा, पता न चला,' 'क्यों' और 'क्या' कभी गिराए नहीं जाते.</span></p>
<p></p>
<p>एक अच्छी कोशिश के लिए हार्दिक बधाई. </p>
<p>आदरणीय बासुदेव जी, </p>
<p></p>
<p><span>'हुई <strong>क्यों</strong> ख़फ़ा, पता न चला,' 'क्यों' और 'क्या' कभी गिराए नहीं जाते.</span></p>
<p></p>
<p>एक अच्छी कोशिश के लिए हार्दिक बधाई. </p>