Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T09:50:08Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A985671&xn_auth=noअब ठीक है ।
'बिक रही कलम लगी…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-01:5170231:Comment:9870272019-07-01T13:17:00.476ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अब ठीक है ।</p>
<p>'बिक रही कलम लगी सुखनबरों की बोलियां'</p>
<p>इस मिसरे में 'सुखनबरों' को "सुखनवरों कर लें,'कलम' को "क़लम" कर लें ।</p>
<p></p>
<p>'बारिशों की है झडी,या अश्क को गुरूर है'</p>
<p>इस मिसरे में 'गुरुर' को "ग़ुरूर" लिखें ।</p>
<p></p>
<p>अब ठीक है ।</p>
<p>'बिक रही कलम लगी सुखनबरों की बोलियां'</p>
<p>इस मिसरे में 'सुखनबरों' को "सुखनवरों कर लें,'कलम' को "क़लम" कर लें ।</p>
<p></p>
<p>'बारिशों की है झडी,या अश्क को गुरूर है'</p>
<p>इस मिसरे में 'गुरुर' को "ग़ुरूर" लिखें ।</p>
<p></p> आदरणिय समर कबीर जी सुधार करने…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-01:5170231:Comment:9869382019-07-01T08:31:59.158ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
आदरणिय समर कबीर जी सुधार करने का प्रयास किया है।<br />
कृपा मार्गदर्शनकरें<br />
<br />
212 1212 1212 1212<br />
सिर पे पांव रख हमारे,चढ़ रहे हो सीढ़ियाँ<br />
क्यों गिरा के दलदलों में,मांगते मुआफियाँ<br />
<br />
चापलूसी बोलती,न महनतों का मोल है<br />
बिक रही कलम लगी सुखनबरों की बोलियां<br />
<br />
<br />
बारिशों की है झडी,या अश्क को गुरूर है<br />
खेल कर वो आब से,डुबा रहें हैं कश्तियाँ
आदरणिय समर कबीर जी सुधार करने का प्रयास किया है।<br />
कृपा मार्गदर्शनकरें<br />
<br />
212 1212 1212 1212<br />
सिर पे पांव रख हमारे,चढ़ रहे हो सीढ़ियाँ<br />
क्यों गिरा के दलदलों में,मांगते मुआफियाँ<br />
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चापलूसी बोलती,न महनतों का मोल है<br />
बिक रही कलम लगी सुखनबरों की बोलियां<br />
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बारिशों की है झडी,या अश्क को गुरूर है<br />
खेल कर वो आब से,डुबा रहें हैं कश्तियाँ आदरणिय समर कबीर साहेब
प्रतिउत…tag:www.openbooksonline.com,2019-07-01:5170231:Comment:9869342019-07-01T05:29:42.787ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
आदरणिय समर कबीर साहेब<br />
प्रतिउत्तर देर से देने के लिए क्षमा चाहती हूँ<br />
आगे से ऐसा नहीं होगा।<br />
<br />
आदरणिय संज्ञान के लिए आपकी आभारी हूँ।<br />
जी सुधार कर के आपको दुबारा दिखाती हूँ
आदरणिय समर कबीर साहेब<br />
प्रतिउत्तर देर से देने के लिए क्षमा चाहती हूँ<br />
आगे से ऐसा नहीं होगा।<br />
<br />
आदरणिय संज्ञान के लिए आपकी आभारी हूँ।<br />
जी सुधार कर के आपको दुबारा दिखाती हूँ आदरणीया रचना भाटिया जी, ग़ज़ल क…tag:www.openbooksonline.com,2019-06-12:5170231:Comment:9858892019-06-12T09:20:46.411ZNeelam Upadhyayahttp://www.openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीया रचना भाटिया जी, ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें । कृपया आदरणीय समर कबीर जी की टिपण्णी का संज्ञान लें।</p>
<p>आदरणीया रचना भाटिया जी, ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें । कृपया आदरणीय समर कबीर जी की टिपण्णी का संज्ञान लें।</p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,ग़…tag:www.openbooksonline.com,2019-06-11:5170231:Comment:9857722019-06-11T12:54:29.453ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'फैंक दलदलों में यार,मांगते हो माफियाँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'माफियाँ' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "मुआफ़ी" और इसका बहुवचन होगा "मुआफ़ियाँ",मिसरा बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'लग रही जगह जगह, इमान की ही बोलियाँ'<br></br></span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'इमान' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "ईमान"221,इसे बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'बारिशों की है झडी,या अश्क…</span></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'फैंक दलदलों में यार,मांगते हो माफियाँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'माफियाँ' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "मुआफ़ी" और इसका बहुवचन होगा "मुआफ़ियाँ",मिसरा बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'लग रही जगह जगह, इमान की ही बोलियाँ'<br/></span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'इमान' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "ईमान"221,इसे बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'बारिशों की है झडी,या अश्क को गरूर है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'गरूर' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "ग़ुरूर" देखियेगा ।</span></p>