Comments - ग़ज़ल - दिल मे भगवान का डर पैदा कर - Open Books Online2024-03-29T12:53:58Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A983933&xn_auth=noजनाब नवीन साहिब, अच्छी ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2019-05-21:5170231:Comment:9842032019-05-21T07:45:26.334ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब नवीन साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं </p>
<p>शेर 1_उला मिसरे में आपने की जगह अपने करलें</p>
<p>शेर 4_ ऊला मिसरा लय में नहीं है, यूँ कर सकते हैं "जिंदगी मांगेगी हर एक सदफ"</p>
<p>शेर 6_ऊला मिसरा बहर में नहीं है, यूँ कर सकते हैं "अब तो सूरज से है तुझको ख़तरा"</p>
<p>शेर 7_ सानी मिसरे में शब और पूनम में इज़ाफत सही नहीं है, यूँ कर सकते हैं, " चौदहवीं शब सा क़मर पैदा कर"</p>
<p>शेर 8_ ऊला मिसरा लय में नहीं है, यूँ कर सकते हैं," देख लूँ मैं भी तुझे जी भर के" सानी मिसरे में…</p>
<p>जनाब नवीन साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं </p>
<p>शेर 1_उला मिसरे में आपने की जगह अपने करलें</p>
<p>शेर 4_ ऊला मिसरा लय में नहीं है, यूँ कर सकते हैं "जिंदगी मांगेगी हर एक सदफ"</p>
<p>शेर 6_ऊला मिसरा बहर में नहीं है, यूँ कर सकते हैं "अब तो सूरज से है तुझको ख़तरा"</p>
<p>शेर 7_ सानी मिसरे में शब और पूनम में इज़ाफत सही नहीं है, यूँ कर सकते हैं, " चौदहवीं शब सा क़मर पैदा कर"</p>
<p>शेर 8_ ऊला मिसरा लय में नहीं है, यूँ कर सकते हैं," देख लूँ मैं भी तुझे जी भर के" सानी मिसरे में बसर की जगह</p>
<p>बशर कर लीजिए </p> हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि…tag:www.openbooksonline.com,2019-05-21:5170231:Comment:9842392019-05-21T05:07:00.624ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>देखता है वो तेरा जुल्मो सितम।</p>
<p>दिल में भगवान का डर पैदा कर ।।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>देखता है वो तेरा जुल्मो सितम।</p>
<p>दिल में भगवान का डर पैदा कर ।।</p> आ. भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई…tag:www.openbooksonline.com,2019-05-21:5170231:Comment:9840862019-05-21T04:14:22.885Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p> आद0 नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर…tag:www.openbooksonline.com,2019-05-17:5170231:Comment:9840332019-05-17T13:19:20.754Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर दाद के साथ बधाई स्वीकार कीजिए</p>
<p>आद0 नवीन मणि त्रिपाठी जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर दाद के साथ बधाई स्वीकार कीजिए</p>