Comments - सीढ़ी हो उनके वास्ते कुर्सी की राह पर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T08:49:12Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A981077&xn_auth=noजी,ठीक है ।tag:www.openbooksonline.com,2019-04-24:5170231:Comment:9816232019-04-24T03:48:58.367ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जी,ठीक है ।</p>
<p>जी,ठीक है ।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-23:5170231:Comment:9815012019-04-23T23:25:57.754Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा व मार्गदर्शन के लिए आभार। इंगित मिसरे को इस प्रकार किया है देखिएगा..</p>
<p><span>अब खाक उनका यूँ न ये अरमान कीजिये'</span></p>
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<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा व मार्गदर्शन के लिए आभार। इंगित मिसरे को इस प्रकार किया है देखिएगा..</p>
<p><span>अब खाक उनका यूँ न ये अरमान कीजिये'</span></p>
<p></p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-23:5170231:Comment:9815812019-04-23T09:45:00.366ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p dir="ltr">'मत खाक उनका आप ये अरमान कीजिये'</p>
<p dir="ltr">इस मिसरे में 'मत ख़ाक' का प्रयोग ठीक नहीं,इसे बदलने का प्रयास करें ।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p dir="ltr">'मत खाक उनका आप ये अरमान कीजिये'</p>
<p dir="ltr">इस मिसरे में 'मत ख़ाक' का प्रयोग ठीक नहीं,इसे बदलने का प्रयास करें ।</p> आ.भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-21:5170231:Comment:9813502019-04-21T08:05:13.629Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ.भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।</p>
<p>आ.भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण ध…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-20:5170231:Comment:9811742019-04-20T12:08:06.415ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</span>जी।लाज़वाब गज़ल।बेहतरीन संदेश।</p>
<p><span>बाँटेंगे जात धर्म की सरहद में खूब वो </span><br/><span>मत खाक उनका आप ये अरमान कीजिये।३।</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</span>जी।लाज़वाब गज़ल।बेहतरीन संदेश।</p>
<p><span>बाँटेंगे जात धर्म की सरहद में खूब वो </span><br/><span>मत खाक उनका आप ये अरमान कीजिये।३।</span></p>