Comments - समय के साथ भी सीखा गया है । - Open Books Online2024-03-29T14:35:00Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A981019&xn_auth=noअच्छा प्रयास है गजल का ... आ…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-19:5170231:Comment:9812092019-04-19T14:38:05.897Zदिगंबर नासवाhttp://www.openbooksonline.com/profile/DigamberNaswa
<p>अच्छा प्रयास है गजल का ... आदरणीय लोगों की बातें गिरह बाँध लें ... विचारों को धार खुद मिलेगी ...</p>
<p>अच्छा प्रयास है गजल का ... आदरणीय लोगों की बातें गिरह बाँध लें ... विचारों को धार खुद मिलेगी ...</p> आ सलीम साहब आदाब जी सर अरकान…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-19:5170231:Comment:9810622019-04-19T03:42:02.315Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>आ सलीम साहब आदाब <br/>जी सर अरकान गलत हुआ है/</p>
<p>मुझे फ़ऊलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन समझ आई थी</p>
<p>मुझसे रुक्न बनाने में गलती हुई,मार्ग दर्शन के लिए शुक्रिया सर , अगली बार से रुक्न अरकान परिवार की पहचान पर भी ध्यान दूंगा </p>
<p>आ सलीम साहब आदाब <br/>जी सर अरकान गलत हुआ है/</p>
<p>मुझे फ़ऊलुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन समझ आई थी</p>
<p>मुझसे रुक्न बनाने में गलती हुई,मार्ग दर्शन के लिए शुक्रिया सर , अगली बार से रुक्न अरकान परिवार की पहचान पर भी ध्यान दूंगा </p> आमोद जी ग़ज़ल के लिए बधाई स्व…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-18:5170231:Comment:9810562019-04-18T16:30:07.146ZSALIM RAZA REWAhttp://www.openbooksonline.com/profile/SALIMRAZA
आमोद जी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वविकारें,<br />
अरकान ग़लत लिखा है.. अरकान<br />
1222 1222 122 है सही कर लें,<br />
शेरों में तुक बंदी के साथ शेरियत पैदा करें,
आमोद जी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वविकारें,<br />
अरकान ग़लत लिखा है.. अरकान<br />
1222 1222 122 है सही कर लें,<br />
शेरों में तुक बंदी के साथ शेरियत पैदा करें, आ समर दादा प्रणाम
जी दादा कोश…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-18:5170231:Comment:9809812019-04-18T05:44:15.152Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>आ समर दादा प्रणाम</p>
<p>जी दादा कोशिश तो हर बार करता हु की रचना में कमियां को कम क्र पाउ पर ऐसा अल्पज्ञान के कारण हो नहीं प् है। बहर भेद, शिल्प , व्याकरण और दोष के साथ अपना कहन सुधारने का लक्ष में हूँ।</p>
<p>आ समर दादा प्रणाम</p>
<p>जी दादा कोशिश तो हर बार करता हु की रचना में कमियां को कम क्र पाउ पर ऐसा अल्पज्ञान के कारण हो नहीं प् है। बहर भेद, शिल्प , व्याकरण और दोष के साथ अपना कहन सुधारने का लक्ष में हूँ।</p> जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-17:5170231:Comment:9810272019-04-17T12:47:00.652ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>हमेशा की तरह शिल्प और व्याकरण के दोष हैं कई अशआर में,उन पर क़ाबू पाने का प्रयास करें ।</p>
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>हमेशा की तरह शिल्प और व्याकरण के दोष हैं कई अशआर में,उन पर क़ाबू पाने का प्रयास करें ।</p>