Comments - सौदा जो सिर्फ देह का परवान चढ़ गया - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T10:58:35Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A980797&xn_auth=noआ. भाई दिगम्बर जी, सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-20:5170231:Comment:9813122019-04-20T04:37:31.373Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई दिगम्बर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई दिगम्बर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए धन्यवाद।</p> आ. भाई बृजेश जी, गजल की प्रशं…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-20:5170231:Comment:9810822019-04-20T04:35:57.709Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बृजेश जी, गजल की प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई बृजेश जी, गजल की प्रशंसा के लिए आभार।</p> आ. भाई आमोद जी, हार्दिक धन्यव…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-20:5170231:Comment:9810812019-04-20T04:33:23.006Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आमोद जी, हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई आमोद जी, हार्दिक धन्यवाद।</p> आ. भाई बसंत जी, गजल की प्रशंस…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-20:5170231:Comment:9813112019-04-20T04:32:02.125Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बसंत जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई बसंत जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-20:5170231:Comment:9811632019-04-20T04:31:05.311Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>इंगित शेर के विषय में मैं भी शंसय में था । मार्गदर्शन के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>इंगित शेर के विषय में मैं भी शंसय में था । मार्गदर्शन के लिए आभार।</p> बहुत खूबसूरत गज़ल हुयी है आदरण…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-19:5170231:Comment:9811472019-04-19T14:30:53.285Zदिगंबर नासवाhttp://www.openbooksonline.com/profile/DigamberNaswa
<p>बहुत खूबसूरत गज़ल हुयी है आदरणीय ...</p>
<p>दिली दाद मेरी ...</p>
<p>बहुत खूबसूरत गज़ल हुयी है आदरणीय ...</p>
<p>दिली दाद मेरी ...</p> वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही है आदरणीय…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-19:5170231:Comment:9810032019-04-19T10:09:53.633Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही है आदरणीय..बधाई</p>
<p>वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही है आदरणीय..बधाई</p> आ मुशाफिर भाई साहब सदर नमस्का…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-19:5170231:Comment:9808872019-04-19T05:24:43.356Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>आ मुशाफिर भाई साहब सदर नमस्कार <br/>गजल के लिए दिली दाद। .नमन</p>
<p>आ मुशाफिर भाई साहब सदर नमस्कार <br/>गजल के लिए दिली दाद। .नमन</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी को सादर न…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-19:5170231:Comment:9808812019-04-19T04:08:08.848Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी को सादर नमस्कार, लाजबाब ग़ज़ल हुई है , आनंद आ गया , </p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको </p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी को सादर नमस्कार, लाजबाब ग़ज़ल हुई है , आनंद आ गया , </p>
<p>बहुत बहुत बधाई आपको </p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:www.openbooksonline.com,2019-04-17:5170231:Comment:9808542019-04-17T12:39:54.756ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span> </span><br/><span>'हो कर परेशाँ धूप भी छाहों में आ गयी'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में क़ाफ़िया सहीह नहीं है,देखियेगा ।</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span> </span><br/><span>'हो कर परेशाँ धूप भी छाहों में आ गयी'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में क़ाफ़िया सहीह नहीं है,देखियेगा ।</span></p>