Comments - मैं वक्त कहाँ कब रुकता हूँ . - Open Books Online2024-03-29T09:46:44Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A978086&xn_auth=noआद0 आमोद श्रीवास्तव जी सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2019-03-17:5170231:Comment:9784862019-03-17T11:24:33.607Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 आमोद श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। बढ़िया प्रयास है, बधाई स्वीकार कीजिये।</p>
<p>आद0 आमोद श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। बढ़िया प्रयास है, बधाई स्वीकार कीजिये।</p> "ग़ज़ल की कक्षा" में जनाब अजय त…tag:www.openbooksonline.com,2019-03-12:5170231:Comment:9783272019-03-12T08:50:12.398ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>"ग़ज़ल की कक्षा" में जनाब अजय तिवारी साहिब का आलेख "मीर द्वारा इस्तेमाल की गई बहरैं" का अध्यन करें ।</p>
<p>वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि 22 को 112 ले सकते हैं,और इस बह्र में गेयता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है ।</p>
<p>"ग़ज़ल की कक्षा" में जनाब अजय तिवारी साहिब का आलेख "मीर द्वारा इस्तेमाल की गई बहरैं" का अध्यन करें ।</p>
<p>वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि 22 को 112 ले सकते हैं,और इस बह्र में गेयता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है ।</p> कलियाँ खुशबू बिखरायेगी।
मैं…tag:www.openbooksonline.com,2019-03-12:5170231:Comment:9785072019-03-12T08:12:04.738Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p></p>
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<p>कलियाँ खुशबू बिखरायेगी।</p>
<p>मैं समय का बहता दरया हूँ।।..(मुझे इसमें रब्त भी नही लगा और समय का' भी भ्रमित कर रहा था</p>
<p></p>
<p>आमोद लिये बिस्वास बढ़ो...इसमें द-लि.. क्या 2 होगा??</p>
<p>पग -पग जीवन में अच्छा हूँ।</p>
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<p>कलियाँ खुशबू बिखरायेगी।</p>
<p>मैं समय का बहता दरया हूँ।।..(मुझे इसमें रब्त भी नही लगा और समय का' भी भ्रमित कर रहा था</p>
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<p>आमोद लिये बिस्वास बढ़ो...इसमें द-लि.. क्या 2 होगा??</p>
<p>पग -पग जीवन में अच्छा हूँ।</p>
<p></p> आ समर दादा प्रणाम ..
दादा इन…tag:www.openbooksonline.com,2019-03-12:5170231:Comment:9782342019-03-12T07:57:05.873Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>आ समर दादा प्रणाम ..</p>
<p>दादा इन बहरों की एक जानकारी चाहिए थी ..क्या इन में मात्रा भार गिर सकता है । </p>
<p>जैसे मूलतः ..22 को 112, या 211 में जोड़ कर पूरा होता है ।</p>
<p>मैं यहाँ भ्रमित हो गया </p>
<p>"मैं समय का' बहता दरिया हूँ " ये "समयक "</p>
<p> इसी तरह ... वैमन स्यता'न...</p>
<p>कृपया इस पर मर्गदर्शन दीजियेगा</p>
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<p>आ समर दादा प्रणाम ..</p>
<p>दादा इन बहरों की एक जानकारी चाहिए थी ..क्या इन में मात्रा भार गिर सकता है । </p>
<p>जैसे मूलतः ..22 को 112, या 211 में जोड़ कर पूरा होता है ।</p>
<p>मैं यहाँ भ्रमित हो गया </p>
<p>"मैं समय का' बहता दरिया हूँ " ये "समयक "</p>
<p> इसी तरह ... वैमन स्यता'न...</p>
<p>कृपया इस पर मर्गदर्शन दीजियेगा</p>
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<p></p> जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2019-03-12:5170231:Comment:9783222019-03-12T06:53:53.816ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'<span>वैमनष्यता न सर उठा पाए।</span><br/><span>दुश्मन की तरहा रहता हूँ'</span></p>
<p><span>ये शैर बह्र में नहीं,देखिये ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'मैं वक़्त कहाँ कब रुकता हूँ'</span></p>
<p><span>ये मिसरा लय में नहीं है ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'आमोद रखो, बिश्वास रखो'</span></p>
<p><span>ये मिसरा लय में नहीं है ।</span></p>
<p>जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'<span>वैमनष्यता न सर उठा पाए।</span><br/><span>दुश्मन की तरहा रहता हूँ'</span></p>
<p><span>ये शैर बह्र में नहीं,देखिये ।</span></p>
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<p><span>'मैं वक़्त कहाँ कब रुकता हूँ'</span></p>
<p><span>ये मिसरा लय में नहीं है ।</span></p>
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<p><span>'आमोद रखो, बिश्वास रखो'</span></p>
<p><span>ये मिसरा लय में नहीं है ।</span></p>