Comments - 'तुरंत' के दोहे (पुच्छल ) - Open Books Online2024-03-29T06:51:21Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A968721&xn_auth=noआदरणीय Samar kabee जी ,सर्वप…tag:www.openbooksonline.com,2019-01-07:5170231:Comment:9688192019-01-07T10:58:51.979Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय <span> </span><a class="fn url" href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer">Samar kabee</a> जी ,सर्वप्रथम तो दोहों की सराहना के लिए हार्दिक आभार एवं सादर नमन | आप का ध्यान सही जगह गया है | और आपने पढ़ा भी ठीक ही है मैंने चपल-ता ही लिखा है | हिंदी में मात्रा गणना १११२ इस प्रकार से की जाती है | मैंने यही सोच कर इसे चप ल-ता ही पढ़ा | किंतु मुझे आपकी बात सही लगी | वस्तुतः हम अपनी मर्ज़ी से पढ़ सकते हैं लेकिन लय के हिसाब से उर्दू का फार्मूला ही सही बैठता है |हालाँकि हिंदी के कई…</p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabee</a> जी ,सर्वप्रथम तो दोहों की सराहना के लिए हार्दिक आभार एवं सादर नमन | आप का ध्यान सही जगह गया है | और आपने पढ़ा भी ठीक ही है मैंने चपल-ता ही लिखा है | हिंदी में मात्रा गणना १११२ इस प्रकार से की जाती है | मैंने यही सोच कर इसे चप ल-ता ही पढ़ा | किंतु मुझे आपकी बात सही लगी | वस्तुतः हम अपनी मर्ज़ी से पढ़ सकते हैं लेकिन लय के हिसाब से उर्दू का फार्मूला ही सही बैठता है |हालाँकि हिंदी के कई विद्वान मात्रा गणना करते समय लघु लघु लघु को अलग मानकर करते हैं | जैसे समर =१२ और २१ दोनों ले लेते हैं जबकि लय के हिसाब से स-मर अधिक ठीक लगता है | आपके निर्देश के अनुसार १२२ ही इसका सही वजन है | इसलिए इस पंक्ति को इस प्रकार परिवर्तित कर रहा हूँ -मन उमंग तन हो चपल ,यौवन के संकेत | पुनः आभार | कृपया इसी प्रकार स्नेह बनाये रखें | </p> क्षमा !
मैं इसे 'च पल ता' पढ़…tag:www.openbooksonline.com,2019-01-07:5170231:Comment:9687512019-01-07T09:30:00.603ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>क्षमा !</p>
<p>मैं इसे 'च पल ता' पढ़ गया,ये शायद "चप ल ता" है ।</p>
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<p>क्षमा !</p>
<p>मैं इसे 'च पल ता' पढ़ गया,ये शायद "चप ल ता" है ।</p>
<p></p> जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरं…tag:www.openbooksonline.com,2019-01-07:5170231:Comment:9687492019-01-07T09:27:02.005ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, दोहों का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><br/><span>'मन उमंग तन चपलता'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति के विषम चरण में 'चपलता'122 है,जबकि यहाँ 212 होना चाहिये, देखियेगा । </span></p>
<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, दोहों का अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><br/><span>'मन उमंग तन चपलता'</span></p>
<p><span>इस पंक्ति के विषम चरण में 'चपलता'122 है,जबकि यहाँ 212 होना चाहिये, देखियेगा । </span></p> नमस्कार भाई सुरेन्द्र नाथ सिं…tag:www.openbooksonline.com,2019-01-07:5170231:Comment:9686782019-01-07T04:24:50.179Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>नमस्कार भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी ,आपके उत्साहवर्धक शब्दों ने अभिभूत कर दिया है | सादर आभार | </p>
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<p>नमस्कार भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी ,आपके उत्साहवर्धक शब्दों ने अभिभूत कर दिया है | सादर आभार | </p>
<p></p> आद0गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2019-01-07:5170231:Comment:9687382019-01-07T03:45:06.114Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। दोहों का सुंदर प्रयास किया है आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये</p>
<p>आद0गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। दोहों का सुंदर प्रयास किया है आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये</p>