Comments - राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ७७ - Open Books Online2024-03-28T15:30:38Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A964376&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आदाब.…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9649072018-12-05T16:23:21.978Zराज़ नवादवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर. </p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर. </p> आ. भाई राज नवादवी जी, अच्छी ग…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9646682018-12-05T16:01:56.064Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राज नवादवी जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई राज नवादवी जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9648182018-12-05T09:09:34.722Zराज़ नवादवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. सुझाए गए बदलाव के साथ रेपोस्ट करता हूँ. सादर. </p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और इस्लाह का तहे दिल से शुक्रिया. सुझाए गए बदलाव के साथ रेपोस्ट करता हूँ. सादर. </p> हार्दिक बधाई आदरणीय राज नवादव…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9645872018-12-05T08:46:49.082ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय राज नवादवी जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>खैर मख्दम के सिवा गुज़राने गम का हो भी क्या</span><span> </span><br/><span>क्या करें हो घर के दरवाज़े खड़ी बारात जब //६</span><span> </span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय राज नवादवी जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>खैर मख्दम के सिवा गुज़राने गम का हो भी क्या</span><span> </span><br/><span>क्या करें हो घर के दरवाज़े खड़ी बारात जब //६</span><span> </span></p> जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9648092018-12-05T05:59:59.752ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>' <span>हम भी मंसूबा बनाएँ दोस्त तुझसे वस्ल का</span><span> </span><br></br><span>तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक्दामात जब '</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,और शैर में शुतरगुरबा दोष भी,इस शैर को यूँ कर लें, दोनों ऐब निकल जाएँगे:-</span></p>
<p><span>'दोस्त मंसूबा बनाऊं मैं भी तुझसे वस्ल का</span></p>
<p><span>तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक़दमात जब'</span></p>
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<p><span> ' रौशनी की…</span></p>
<p>जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>' <span>हम भी मंसूबा बनाएँ दोस्त तुझसे वस्ल का</span><span> </span><br/><span>तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक्दामात जब '</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,और शैर में शुतरगुरबा दोष भी,इस शैर को यूँ कर लें, दोनों ऐब निकल जाएँगे:-</span></p>
<p><span>'दोस्त मंसूबा बनाऊं मैं भी तुझसे वस्ल का</span></p>
<p><span>तोड़ दें तेरी हया को मेरे इक़दमात जब'</span></p>
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<p><span> ' रौशनी की जुस्तजू में खो गए ज़ुल्मात जब'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में "ज़ुलमात" एक वचन है,इसलिये 'खो गए' को "खो गया" करना उचित होगा ।</span></p>
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<p><span>' खैर मख्दम के सिवा गुज़राने गम का हो भी क्या'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में सहीह शब्द है "ख़ैर मक़दम" ।</span></p>
<p><span>मक़्ते के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,और ऊला का शिल्प भी कमज़ोर है ।</span></p>
<p></p> आदरणीय राहुल डांगी साहब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9648072018-12-05T03:54:15.955Zराज़ नवादवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय राहुल डांगी साहब, ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. </p>
<p>आदरणीय राहुल डांगी साहब, ग़ज़ल में शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया. सादर. </p> अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई विशेष…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-04:5170231:Comment:9645722018-12-04T17:44:58.692ZRahul Dangi Panchalhttp://www.openbooksonline.com/profile/RahulDangi
<p>अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई विशेष तौर पर 2 व 11 वें शे'र के लिए वाह </p>
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<p>अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई विशेष तौर पर 2 व 11 वें शे'र के लिए वाह </p>
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