Comments - गज़ल -13( फिर भी नादान कलेजे में ज़हर रखता है) - Open Books Online2024-03-28T18:17:05Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A964356&xn_auth=noहार्दिक बधाई आदरणीय क़मर जौनपु…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9645932018-12-05T08:58:59.689ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय क़मर जौनपुरी जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>पहले शैतान से डरने की ख़बर आती थी</span><br/><span>आज इंसान ही इंसान से डर रखता है//५</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय क़मर जौनपुरी जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>पहले शैतान से डरने की ख़बर आती थी</span><br/><span>आज इंसान ही इंसान से डर रखता है//५</span></p> ' फिर क्यों नादान मुहब्बत मे…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-05:5170231:Comment:9647102018-12-05T05:28:26.707ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>' फिर क्यों नादान मुहब्बत में कसर रखता है"</p>
<p>ठीक है ।</p>
<p>' फिर क्यों नादान मुहब्बत में कसर रखता है"</p>
<p>ठीक है ।</p> जनाबे मोहतरम यह मिसरा ठीक रहे…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-04:5170231:Comment:9646402018-12-04T19:07:03.027Zक़मर जौनपुरीhttp://www.openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
<p>जनाबे मोहतरम यह मिसरा ठीक रहेगा ?</p>
<p>"फिर क्यों नादान मुहब्बत में कसर रखता है"</p>
<p></p>
<p>जनाबे मोहतरम यह मिसरा ठीक रहेगा ?</p>
<p>"फिर क्यों नादान मुहब्बत में कसर रखता है"</p>
<p></p> बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-04:5170231:Comment:9647072018-12-04T19:02:08.899Zक़मर जौनपुरीhttp://www.openbooksonline.com/profile/Kamaruddin
<p>बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहब और राज़ साहब इस्लाह के लिए। उस मिसरे को में दुरुस्त करने की कोशिश करता हूँ।</p>
<p></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर साहब का बहुत बहुत शुक्रिया हौसला आफ़ज़ाई के लिए।</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहब और राज़ साहब इस्लाह के लिए। उस मिसरे को में दुरुस्त करने की कोशिश करता हूँ।</p>
<p></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर साहब का बहुत बहुत शुक्रिया हौसला आफ़ज़ाई के लिए।</p> आ. कमर जौनपुरी जी, सुंदर गजल…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-04:5170231:Comment:9646322018-12-04T06:16:20.245Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. कमर जौनपुरी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. कमर जौनपुरी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।</p> जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,ग़…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-04:5170231:Comment:9645542018-12-04T05:48:37.720ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरे शैर में क़ाफ़िया दोष है,सहीह शब्द है "ज़ह्र" देखियेगा ।</p>
<p>जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरे शैर में क़ाफ़िया दोष है,सहीह शब्द है "ज़ह्र" देखियेगा ।</p> आदरणीय क़मर जौनपुरी साहब, आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2018-12-03:5170231:Comment:9646192018-12-03T13:54:08.743Zराज़ नवादवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>आदरणीय क़मर जौनपुरी साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे हार्दिक बधाई. ज़हर लफ्ज़ देख लीजिएगा, दरअस्ल ज़ह्र है. सादर. </p>
<p>आदरणीय क़मर जौनपुरी साहब, आदाब. सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे हार्दिक बधाई. ज़हर लफ्ज़ देख लीजिएगा, दरअस्ल ज़ह्र है. सादर. </p>