Comments - सबस्टिट्यूट (कहानी) - Open Books Online2024-03-28T22:45:58Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A960579&xn_auth=noजनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,
हौ…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9615282018-11-18T15:19:43.883Zmirza javed baighttp://www.openbooksonline.com/profile/mirzajavedbaig
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, </p>
<p>हौसला अफजा़ई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, </p>
<p>हौसला अफजा़ई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया </p> जनाब राज़ नादवी साहिब आदाब, …tag:www.openbooksonline.com,2018-11-18:5170231:Comment:9616142018-11-18T15:18:12.999Zmirza javed baighttp://www.openbooksonline.com/profile/mirzajavedbaig
<p>जनाब राज़ नादवी साहिब आदाब, </p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया मुहतरम</p>
<p>जनाब राज़ नादवी साहिब आदाब, </p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया मुहतरम</p> हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा जा…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-13:5170231:Comment:9610182018-11-13T05:46:20.319ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग जी।बेहतरीन कहानी।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग जी।बेहतरीन कहानी।</p> आपका स्वागत है जनाब समर कबीर…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-12:5170231:Comment:9607862018-11-12T09:47:46.174Zराज़ नवादवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>आपका स्वागत है जनाब समर कबीर साहब. सादर </p>
<p>आपका स्वागत है जनाब समर कबीर साहब. सादर </p> इस जानकारी के लिए शुक्रिया,रा…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-12:5170231:Comment:9607062018-11-12T09:12:12.920ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>इस जानकारी के लिए शुक्रिया,राज़ साहिब ।</p>
<p>इस जानकारी के लिए शुक्रिया,राज़ साहिब ।</p> 'दरकना, शब्द बिहार एवं अन्य प…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-12:5170231:Comment:9607842018-11-12T08:17:30.019Zराज़ नवादवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/RazNawadwi
<p>'दरकना, शब्द बिहार एवं अन्य पूर्वांचल के राज्यों में इस्तेमाल किया जाता है जिसका अर्थ है किसी चीज़ में कोई हल्का शिगाफ़ या दरार का पड़ जाना. सादर </p>
<p>'दरकना, शब्द बिहार एवं अन्य पूर्वांचल के राज्यों में इस्तेमाल किया जाता है जिसका अर्थ है किसी चीज़ में कोई हल्का शिगाफ़ या दरार का पड़ जाना. सादर </p> "दरकना" शब्द मेरे लिए नया है,…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-12:5170231:Comment:9609492018-11-12T06:15:57.008ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>"<span>दरकना" शब्द मेरे लिए नया है, शायद ये आँचलिक भाषा से है, शुक्रिया ।</span></p>
<p>"<span>दरकना" शब्द मेरे लिए नया है, शायद ये आँचलिक भाषा से है, शुक्रिया ।</span></p> मुहतरम शैॆख़ उस्मान साहिब आदा…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-11:5170231:Comment:9607692018-11-11T14:10:21.988Zmirza javed baighttp://www.openbooksonline.com/profile/mirzajavedbaig
<p>मुहतरम शैॆख़ उस्मान साहिब आदाब</p>
<p>आपकी हौसला अफ़ज़ाई से यक़ीनन नई ऊर्जा मिलेगी। </p>
<p>आईंदा, और बहतर कहने की कोशिश करूंगा बहुत बहुत शुक्रिया </p>
<p>मुहतरम शैॆख़ उस्मान साहिब आदाब</p>
<p>आपकी हौसला अफ़ज़ाई से यक़ीनन नई ऊर्जा मिलेगी। </p>
<p>आईंदा, और बहतर कहने की कोशिश करूंगा बहुत बहुत शुक्रिया </p> आली जनाब समर कबीर साहिब आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-11:5170231:Comment:9606972018-11-11T14:07:39.467Zmirza javed baighttp://www.openbooksonline.com/profile/mirzajavedbaig
<p>आली जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,</p>
<p>हौसला अफ़जा़ई के लिए मशकूर हूँ</p>
<p>मुहतरम टंकन त्रूटी नहीं है शायद आपको मेरे दरकना लफ़्ज़ के इस्तेमाल की वजह से एसा लगा होगा। </p>
<p>दरकना यानी धीरे धीरे टूटना बिखरना </p>
<p>आली जनाब समर कबीर साहिब आदाब ,</p>
<p>हौसला अफ़जा़ई के लिए मशकूर हूँ</p>
<p>मुहतरम टंकन त्रूटी नहीं है शायद आपको मेरे दरकना लफ़्ज़ के इस्तेमाल की वजह से एसा लगा होगा। </p>
<p>दरकना यानी धीरे धीरे टूटना बिखरना </p> आदाब। प्यार-मुहब्बत-इज़हार-…tag:www.openbooksonline.com,2018-11-10:5170231:Comment:9606482018-11-10T11:49:41.581ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<ol>
<li>आदाब। प्यार-मुहब्बत-इज़हार-बेक़रार वाले सामान्य कथानक में क्रिकेट, बेट्समेन और पेवेलियन, सब्सटीट्यूट के मोती तुलनात्मक रूप से जोड़ने पर कहानी न सिर्फ़ दिलचस्प और प्रवाहमय बन गई, बल्कि कई अनुभवी आशिकों को अतीत की सैर करा कर सब्सटीट्यूशन के वाक्यात याद कराकर रुला गई होगी। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब <em><strong>मिर्ज़ा जावेद बेग़</strong></em> साहिब। /सबस्टिट्यूट = सब्सटीट्यूट/</li>
</ol>
<ol>
<li>आदाब। प्यार-मुहब्बत-इज़हार-बेक़रार वाले सामान्य कथानक में क्रिकेट, बेट्समेन और पेवेलियन, सब्सटीट्यूट के मोती तुलनात्मक रूप से जोड़ने पर कहानी न सिर्फ़ दिलचस्प और प्रवाहमय बन गई, बल्कि कई अनुभवी आशिकों को अतीत की सैर करा कर सब्सटीट्यूशन के वाक्यात याद कराकर रुला गई होगी। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब <em><strong>मिर्ज़ा जावेद बेग़</strong></em> साहिब। /सबस्टिट्यूट = सब्सटीट्यूट/</li>
</ol>