Comments - "केरेक्टर ढीला क्यूं?" (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T16:37:48Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A953630&xn_auth=noजनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-17:5170231:Comment:9537422018-10-17T11:54:26.346ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय उस्मानी जी, सादर प्रणा…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-17:5170231:Comment:9538452018-10-17T07:24:59.713ZV.M.''vrishty''http://www.openbooksonline.com/profile/Varshamishravrishty
आदरणीय उस्मानी जी, सादर प्रणाम! अद्भुत प्रयोग किया है आपने। आपकी कल्पनाशक्ति वाकई काबिले-तारीफ है। विकृत होती भाषा शैली पर बहुत ही खूबसूरत लहज़े में संवेदनशील व्यंग प्रस्तुत किया है आपने। बहुत बहुत बधाई।
आदरणीय उस्मानी जी, सादर प्रणाम! अद्भुत प्रयोग किया है आपने। आपकी कल्पनाशक्ति वाकई काबिले-तारीफ है। विकृत होती भाषा शैली पर बहुत ही खूबसूरत लहज़े में संवेदनशील व्यंग प्रस्तुत किया है आपने। बहुत बहुत बधाई। आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी,…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-17:5170231:Comment:9536402018-10-17T06:35:52.604ZNeelam Upadhyayahttp://www.openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, 'हैज़-की' और अपने 'केरेक्टर-कीज़-दल' के बहाने ही बहुत ही करारा व्यंग्य किया है अपने जो सही भाषा लिखने और बोलने में सुस्ती दिखाते हैं। आजकल तो फैशन ही चल पड़ा है इस तरह के प्रयोग का। बहुत ही उम्दा प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, 'हैज़-की' और अपने 'केरेक्टर-कीज़-दल' के बहाने ही बहुत ही करारा व्यंग्य किया है अपने जो सही भाषा लिखने और बोलने में सुस्ती दिखाते हैं। आजकल तो फैशन ही चल पड़ा है इस तरह के प्रयोग का। बहुत ही उम्दा प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। </p>