Comments - कविता का जीवन - Open Books Online2024-03-28T12:19:45Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A952455&xn_auth=noआदरणीय नीलम जी, प्रणाम! आत्मी…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-14:5170231:Comment:9530852018-10-14T11:15:14.944ZV.M.''vrishty''http://www.openbooksonline.com/profile/Varshamishravrishty
आदरणीय नीलम जी, प्रणाम! आत्मीय आभार।
आदरणीय नीलम जी, प्रणाम! आत्मीय आभार। आदरणीया विष्ट जी, बहुत ही सुन…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-13:5170231:Comment:9530382018-10-13T10:48:35.154ZNeelam Upadhyayahttp://www.openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p><span style="font-size: 8pt;">आदरणीया विष्ट जी, बहुत ही सुन्दर अतुकांत रछ्ना। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। </span></p>
<p><span style="font-size: 8pt;">आदरणीया विष्ट जी, बहुत ही सुन्दर अतुकांत रछ्ना। प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। </span></p> आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह जी,…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-13:5170231:Comment:9529742018-10-13T06:00:32.209ZV.M.''vrishty''http://www.openbooksonline.com/profile/Varshamishravrishty
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह जी, अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह जी, अभिवादन! उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! आद0 वी एम वृष्टि जी सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-13:5170231:Comment:9531092018-10-13T05:29:32.320Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 वी एम वृष्टि जी सादर अभिवादन। बढिया अतुकांत सृजित किया आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।</p>
<p>आद0 वी एम वृष्टि जी सादर अभिवादन। बढिया अतुकांत सृजित किया आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।</p> आदरणीय समर कबीर जी! आपके सुझा…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-12:5170231:Comment:9528472018-10-12T10:18:28.825ZV.M.''vrishty''http://www.openbooksonline.com/profile/Varshamishravrishty
<p>आदरणीय समर कबीर जी! आपके सुझाव के लिए बहुत बहुत आत्मीय धन्यवाद! </p>
<p>आपका मार्गदर्शन मिलता रहे हमेशा! ....सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी! आपके सुझाव के लिए बहुत बहुत आत्मीय धन्यवाद! </p>
<p>आपका मार्गदर्शन मिलता रहे हमेशा! ....सादर</p> पहले आप अपनी कोई ग़ज़ल मंच पर स…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-12:5170231:Comment:9528392018-10-12T07:54:26.964ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>पहले आप अपनी कोई ग़ज़ल मंच पर साझा करें,देखते हैं उसमें क्या सुधार की गुंजाइश है, और इसके अलावा आप ओबीओ पर मौजूद समूह "ग़ज़ल की कक्षा" और "ग़ज़ल की बातें" में उपलब्ध आलेखों का अध्यन करें तो आपकी बहुत सी उलझनें दूर हो सकती हैं ।</p>
<p>पहले आप अपनी कोई ग़ज़ल मंच पर साझा करें,देखते हैं उसमें क्या सुधार की गुंजाइश है, और इसके अलावा आप ओबीओ पर मौजूद समूह "ग़ज़ल की कक्षा" और "ग़ज़ल की बातें" में उपलब्ध आलेखों का अध्यन करें तो आपकी बहुत सी उलझनें दूर हो सकती हैं ।</p> आदरणीय समर कबीर जी, दुष्यंत ज…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-12:5170231:Comment:9527602018-10-12T06:31:18.444ZV.M.''vrishty''http://www.openbooksonline.com/profile/Varshamishravrishty
<p>आदरणीय समर कबीर जी, दुष्यंत जी के संदर्भ में पूछने का मेरा उद्देश्य यही था कि मैं ग़ज़ल लिखती तो हूँ,,लेकिन वो ग़ज़ल के पैमाने पर खरे नही उतरते। और ग़ज़ल की जटिलताओ का ज्ञान मुझे अब जा के हुआ है। ग़ज़ल सुनना पढ़ना मुझे किशोरावस्था से ही पसंद है। और मैंने तभी लिखने का प्रयास शुरू कर दिया था। कई सारी रचनाये की मैंने। जिनमे लय और भाव की तो कमी नही मगर बहर बिल्कुल भी सही नही।</p>
<p>अब मेरी उलझन ये है कि इन रचनाओ को नाम क्या दूँ???? </p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, दुष्यंत जी के संदर्भ में पूछने का मेरा उद्देश्य यही था कि मैं ग़ज़ल लिखती तो हूँ,,लेकिन वो ग़ज़ल के पैमाने पर खरे नही उतरते। और ग़ज़ल की जटिलताओ का ज्ञान मुझे अब जा के हुआ है। ग़ज़ल सुनना पढ़ना मुझे किशोरावस्था से ही पसंद है। और मैंने तभी लिखने का प्रयास शुरू कर दिया था। कई सारी रचनाये की मैंने। जिनमे लय और भाव की तो कमी नही मगर बहर बिल्कुल भी सही नही।</p>
<p>अब मेरी उलझन ये है कि इन रचनाओ को नाम क्या दूँ???? </p> 'वृष्टि 'जी,मैं दुष्यंत कुमार…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-12:5170231:Comment:9528332018-10-12T06:25:05.671ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>'वृष्टि 'जी,मैं दुष्यंत कुमार जी का पक्षधर हूँ या नहीं इससे क्या फ़र्क़ पड़ने वाला है?</p>
<p>दुष्यंत कुमार पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है, उसे आप पढ़ सकती हैं,और इस जगह इस पर बात करने से क्या हासिल,यहाँ मैं आपसे सवाल करता हूँ कि क्या आप ग़ज़ल भी लिखती हैं?</p>
<p></p>
<p>'वृष्टि 'जी,मैं दुष्यंत कुमार जी का पक्षधर हूँ या नहीं इससे क्या फ़र्क़ पड़ने वाला है?</p>
<p>दुष्यंत कुमार पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है, उसे आप पढ़ सकती हैं,और इस जगह इस पर बात करने से क्या हासिल,यहाँ मैं आपसे सवाल करता हूँ कि क्या आप ग़ज़ल भी लिखती हैं?</p>
<p></p> आदरणीय समर कबीर जी, यानी आप द…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-12:5170231:Comment:9526712018-10-12T05:52:52.855ZV.M.''vrishty''http://www.openbooksonline.com/profile/Varshamishravrishty
<p>आदरणीय समर कबीर जी, यानी आप दुष्यंत कुमार जी के पक्षधर नही हैं??</p>
<p>उनकी रचनाये आपके मानक पर खरी नही उतरती?</p>
<p>दुष्यंत जी की रचनाये किस विधा पर आधारित है?? क्या नाम दिया जाए उनको?</p>
<p>कृपया मेरी उलझन का समाधान करें।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, यानी आप दुष्यंत कुमार जी के पक्षधर नही हैं??</p>
<p>उनकी रचनाये आपके मानक पर खरी नही उतरती?</p>
<p>दुष्यंत जी की रचनाये किस विधा पर आधारित है?? क्या नाम दिया जाए उनको?</p>
<p>कृपया मेरी उलझन का समाधान करें।</p> ग़ज़ल विधा तो बह्र में ही होती…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-12:5170231:Comment:9526702018-10-12T05:12:15.618ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>ग़ज़ल विधा तो बह्र में ही होती है,और अच्छी लगती है,हिन्दी ग़ज़ल जिसे गीतिका कहते हैं वो भी मात्राओं के अधीन ही होती है,इसलिये आज़ाद ग़ज़ल के चाहने वाले भी हैं लेकिन बड़ी संख्या बह्र में कहने वालों की है, और मैं भी उसका समर्थक नहीं हूँ ।</p>
<p>ग़ज़ल विधा तो बह्र में ही होती है,और अच्छी लगती है,हिन्दी ग़ज़ल जिसे गीतिका कहते हैं वो भी मात्राओं के अधीन ही होती है,इसलिये आज़ाद ग़ज़ल के चाहने वाले भी हैं लेकिन बड़ी संख्या बह्र में कहने वालों की है, और मैं भी उसका समर्थक नहीं हूँ ।</p>