Comments - मौत आंगन में आकर टहलती रही - Open Books Online2024-03-29T13:37:33Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A952100&xn_auth=noआ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-14:5170231:Comment:9532352018-10-14T09:47:58.126Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-11:5170231:Comment:9527102018-10-11T04:34:57.547ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब तहेदिल से शुक्रिया ।</p>
<p>आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब तहेदिल से शुक्रिया ।</p> आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब बह…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-11:5170231:Comment:9525762018-10-11T04:33:59.299ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब बहुत बहुत हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब बहुत बहुत हार्दिक आभार ।</p> आ0 तेजवीर सिंह साहब तहेदिल से…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-11:5170231:Comment:9527092018-10-11T04:32:57.025ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 तेजवीर सिंह साहब तहेदिल से शुक्रिया।</p>
<p>आ0 तेजवीर सिंह साहब तहेदिल से शुक्रिया।</p> आदारणीया वी ऍम वृष्टि जी ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-11:5170231:Comment:9524612018-10-11T04:32:03.403ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आदारणीया वी ऍम वृष्टि जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत आभार । </p>
<p>आदारणीया वी ऍम वृष्टि जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत आभार । </p> आ0 कबीर सर सादर प्रणाम । आपकी…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-11:5170231:Comment:9524592018-10-11T04:29:38.351ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 कबीर सर सादर प्रणाम । आपकी इस्लाह के अनुसार ग़ज़ल के कुछ शेर में परिवर्तन कर दिया है । आप जैसे गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं । आपकी कृपा ऐसे ही बनी रहे तो यह नचीज भी थोड़ा थोड़ा ग़ज़ल को समझने लगा है ।</p>
<p>सादर नमन ।</p>
<p>एक बात और सर जैसे शब्द गैर इरादतन है वैसे साजिशन क्या नहीं हो सकता । इसको लेकर कन्फ्यूजन था । यद्यपि आपकी बात को मैं आँख बन्द करके मान लिया ।आप जो कहते वह बिलकुल सहीह होगा । </p>
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<p>सादर नमन के साथ आभार । </p>
<p>आ0 कबीर सर सादर प्रणाम । आपकी इस्लाह के अनुसार ग़ज़ल के कुछ शेर में परिवर्तन कर दिया है । आप जैसे गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं । आपकी कृपा ऐसे ही बनी रहे तो यह नचीज भी थोड़ा थोड़ा ग़ज़ल को समझने लगा है ।</p>
<p>सादर नमन ।</p>
<p>एक बात और सर जैसे शब्द गैर इरादतन है वैसे साजिशन क्या नहीं हो सकता । इसको लेकर कन्फ्यूजन था । यद्यपि आपकी बात को मैं आँख बन्द करके मान लिया ।आप जो कहते वह बिलकुल सहीह होगा । </p>
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<p>सादर नमन के साथ आभार । </p> एक बात और,यहाँ सब एक दूसरे को…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-10:5170231:Comment:9525572018-10-10T08:42:27.464ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>एक बात और,यहाँ सब एक दूसरे को आदरणीय,मुहतरम, या जनाब कहकर सम्बोधित करते हैं,आप भी इस परम्परा को निभाने में सहयोग करें,ऐसी आशा है ।</p>
<p>एक बात और,यहाँ सब एक दूसरे को आदरणीय,मुहतरम, या जनाब कहकर सम्बोधित करते हैं,आप भी इस परम्परा को निभाने में सहयोग करें,ऐसी आशा है ।</p> मुहतरमा,ये एक सीखने सिखाने का…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-10:5170231:Comment:9526152018-10-10T08:37:08.581ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा,ये एक सीखने सिखाने का मंच है, यहाँ हर सदस्य गुरु है और हर सदस्य शिष्य,जो जिसको आता है वो दूसरे को सिखा देता है,आप रचनाओं पर आई टिप्पणियां ध्यान पूर्वक पढ़ें तो बहुत कुछ सीखने को मिल जायेगा,शुभेच्छाएँ ।</p>
<p>मुहतरमा,ये एक सीखने सिखाने का मंच है, यहाँ हर सदस्य गुरु है और हर सदस्य शिष्य,जो जिसको आता है वो दूसरे को सिखा देता है,आप रचनाओं पर आई टिप्पणियां ध्यान पूर्वक पढ़ें तो बहुत कुछ सीखने को मिल जायेगा,शुभेच्छाएँ ।</p> श्रीमान Samar kabeer जी, प्रण…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-10:5170231:Comment:9523992018-10-10T07:10:09.592ZV.M.''vrishty''http://www.openbooksonline.com/profile/Varshamishravrishty
श्रीमान Samar kabeer जी, प्रणाम! आपने सही कहा कि मैं मंच पर पहली बार आयी हूँ। अतः त्रुटियाँ स्वाभाविक हैं। मैं यहां के तौर-तरीकों से पूरी तरह अनभिज्ञ हूँ। निवेदन है कि आप मेरा मार्गदर्शन करें!<br />
महोदय अभी तो मुझे स्वयं ही अनेकानेक सुधारों की आवश्यकता है,, तो मैं किसी की आलोचना के योग्य नही समझती स्वयं को......<br />
आपके सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
श्रीमान Samar kabeer जी, प्रणाम! आपने सही कहा कि मैं मंच पर पहली बार आयी हूँ। अतः त्रुटियाँ स्वाभाविक हैं। मैं यहां के तौर-तरीकों से पूरी तरह अनभिज्ञ हूँ। निवेदन है कि आप मेरा मार्गदर्शन करें!<br />
महोदय अभी तो मुझे स्वयं ही अनेकानेक सुधारों की आवश्यकता है,, तो मैं किसी की आलोचना के योग्य नही समझती स्वयं को......<br />
आपके सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! जनाब v.m."prishth" जी आदाब,पह…tag:www.openbooksonline.com,2018-10-10:5170231:Comment:9525522018-10-10T06:45:12.157ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब v.m."prishth" जी आदाब,पहली बार मंच पर आपको देख रहा हूँ ,आपका स्वागत है।</p>
<p>संक्षिप्त टिप्पणी। करना सोशल मीडिया पर चलता है, ये ओबीओ की परिपाटी नहीं है,यहाँ पहले रचनाकार को आदर से उसका नाम लेकर सम्बोधित करते हैं,उसके बाद उसकी रचना की आलोचना या तारीफ़ की जाती है,आपसे सहयोग की उम्मीद है ।</p>
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<p>जनाब v.m."prishth" जी आदाब,पहली बार मंच पर आपको देख रहा हूँ ,आपका स्वागत है।</p>
<p>संक्षिप्त टिप्पणी। करना सोशल मीडिया पर चलता है, ये ओबीओ की परिपाटी नहीं है,यहाँ पहले रचनाकार को आदर से उसका नाम लेकर सम्बोधित करते हैं,उसके बाद उसकी रचना की आलोचना या तारीफ़ की जाती है,आपसे सहयोग की उम्मीद है ।</p>
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