Comments - ग़ज़ल - ज़माने के लिए - Open Books Online2024-03-29T08:43:23Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A948361&xn_auth=noआदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9494112018-09-18T04:58:52.652Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a><span> जी शुभ प्रभात, आपका दिल से शुक्रिया </span></p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar" class="fn url">बृजेश कुमार 'ब्रज'</a><span> जी शुभ प्रभात, आपका दिल से शुक्रिया </span></p> आदरणीय रामबली गुप्ता जी शुभ प…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9493182018-09-18T04:58:20.569Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA" class="fn url">रामबली गुप्ता</a><span> जी शुभ प्रभातम, आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया </span></p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA" class="fn url">रामबली गुप्ता</a><span> जी शुभ प्रभातम, आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया </span></p> वाह आदरणीय शर्मा जी...बहुत ही…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-18:5170231:Comment:9493162018-09-18T03:19:37.662Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह आदरणीय शर्मा जी...बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही...</p>
<p>वाह आदरणीय शर्मा जी...बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही...</p> वाह भाई बसंत कुमार जी बहुत ही…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-17:5170231:Comment:9491042018-09-17T07:46:20.105Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>वाह भाई बसंत कुमार जी बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही आपने हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सभी शैर बढियाँ हुए हैं लेकिन पहला और दूसरा शैर दोनों मुझे बहुत पसंद आये। तीसरे शेर में आद० समर भाई साहब का सुझाव बेहतर है। सादर</p>
<p>वाह भाई बसंत कुमार जी बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही आपने हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सभी शैर बढियाँ हुए हैं लेकिन पहला और दूसरा शैर दोनों मुझे बहुत पसंद आये। तीसरे शेर में आद० समर भाई साहब का सुझाव बेहतर है। सादर</p> आदरणीया रक्षिता सिंह जी सादर…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-15:5170231:Comment:9487882018-09-15T15:37:02.066Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीया रक्षिता सिंह जी सादर नमस्कार , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया का दिल से शुक्रिया </p>
<p>आदरणीया रक्षिता सिंह जी सादर नमस्कार , आपकी मनभावन प्रतिक्रिया का दिल से शुक्रिया </p> आदरणीय बसंत जी बहुत ही खूबसूर…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-15:5170231:Comment:9490222018-09-15T07:47:55.819Zरक्षिता सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/RakshitaSingh
<p>आदरणीय बसंत जी बहुत ही खूबसूरत गज़ल। बहुत बहुत बधाई</p>
<p>आदरणीय बसंत जी बहुत ही खूबसूरत गज़ल। बहुत बहुत बधाई</p> आदरणीय समर कबीर जी सादर नमस्क…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-14:5170231:Comment:9484762018-09-14T07:43:23.536Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय समर कबीर जी सादर नमस्कार, आपकी तरमीम से हमेशा ही कुछ न कुछ सीखने को मिलता है, बहुत बहुत शुक्रिया , यूँ ही स्नेह बनाये रखें </p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी सादर नमस्कार, आपकी तरमीम से हमेशा ही कुछ न कुछ सीखने को मिलता है, बहुत बहुत शुक्रिया , यूँ ही स्नेह बनाये रखें </p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी सादर नम…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-14:5170231:Comment:9486572018-09-14T07:42:12.439Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी सादर नमस्कार, आपका दिल से शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए </p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी सादर नमस्कार, आपका दिल से शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए </p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-14:5170231:Comment:9486552018-09-14T07:41:26.652Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> सादर नमस्कार, आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार </span></p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> सादर नमस्कार, आपकी मनभावन प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार </span></p> जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2018-09-14:5170231:Comment:9486492018-09-14T06:26:59.187ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>' </p>
<p><span>हम नदी से बह रहे हैं खुद बनाकर रास्ता</span></p>
<p><span>सिन्धु से कब चाह है आये बुलाने के लिए'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला मिसरे में 'से' की जगह "में" करना उचित होगा,और सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है 'चाह है' ,अगर मिसरा यूँ करलें तो ऐब निक्ल जायेगा:-</span></p>
<p><span>'चाह क़ब है सिन्धु से आये बुलाने के लिये'</span></p>
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<p>जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>हम नदी से बह रहे हैं खुद बनाकर रास्ता</span></p>
<p><span>सिन्धु से कब चाह है आये बुलाने के लिए'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला मिसरे में 'से' की जगह "में" करना उचित होगा,और सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है 'चाह है' ,अगर मिसरा यूँ करलें तो ऐब निक्ल जायेगा:-</span></p>
<p><span>'चाह क़ब है सिन्धु से आये बुलाने के लिये'</span></p>
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