Comments - "आया ...आया ... गया!" (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T00:42:11Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A944831&xn_auth=noअपने. विचार साझा कर अनुमोदन,…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-18:5170231:Comment:9448052018-08-18T05:13:17.437ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>अपने. विचार साझा कर अनुमोदन, विचारोत्तेजक मार्गदर्शन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ <em><strong>सिंह</strong></em> '<em><strong>कुशक्षत्रप</strong></em>' साहिब,</a> <span> जनाब </span><em><strong>समर कबीर</strong></em> साहिब, जनाब <em><strong>मोह़म्मद आरिफ़</strong></em> साहिब।</p>
<p>अपने. विचार साझा कर अनुमोदन, विचारोत्तेजक मार्गदर्शन और हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ <em><strong>सिंह</strong></em> '<em><strong>कुशक्षत्रप</strong></em>' साहिब,</a> <span> जनाब </span><em><strong>समर कबीर</strong></em> साहिब, जनाब <em><strong>मोह़म्मद आरिफ़</strong></em> साहिब।</p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-16:5170231:Comment:9449372018-08-16T17:29:55.096ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत ही शानदार लघुकथा,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत ही शानदार लघुकथा,इस बहतरीन प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आ…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-16:5170231:Comment:9447722018-08-16T08:44:58.359ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही सामयिक और प्रासंगिक लघुकथा । बेहतरीन और सशक्त आम भाषा में आमजन के संवाद । आधा देश बाढ़ की चपेट में है जिससे हज़ारों ज़िंदगियाँ संकट में फँसी है । राहत और बचाव कार्य नगण्य हैं । राहत सामग्री पर भी गंदी राथनीति का दबदबा देखा जा सकता है । राहत सामग्री के पैकेटों पर भी मुख्यमंत्री और प्रधान सेवक की फोटो और विशेष रंग का इस्तेमाँ देखा जा सकता है । राहत सामग्री के बहाने चुनाव प्रचार । हमारे नेतागण कितने गिर गए…</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> बहुत ही सामयिक और प्रासंगिक लघुकथा । बेहतरीन और सशक्त आम भाषा में आमजन के संवाद । आधा देश बाढ़ की चपेट में है जिससे हज़ारों ज़िंदगियाँ संकट में फँसी है । राहत और बचाव कार्य नगण्य हैं । राहत सामग्री पर भी गंदी राथनीति का दबदबा देखा जा सकता है । राहत सामग्री के पैकेटों पर भी मुख्यमंत्री और प्रधान सेवक की फोटो और विशेष रंग का इस्तेमाँ देखा जा सकता है । राहत सामग्री के बहाने चुनाव प्रचार । हमारे नेतागण कितने गिर गए हैं सोचा भी नहीन था । </p>
<p> हमने कल आज़ादी की 72वीं वर्षगाँठ मनाई मगर काल क़िले से देश में बाढ़ में मारे गए हज़ारों भारतवासियों के लिए संवेदना के दो बोल भी सुनाई नहीं दिए । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p> आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सा…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-16:5170231:Comment:9447662018-08-16T08:05:26.820Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा। आज हम विदेश का अंधानुकरण कर रहे हैं। सुशासन के नाम पर अगर कुछ बदल पाया है तो वह है सरकार का मुखौटा। आज भी प्राकृतिक आपदा में हालात भगवान भरोसे ही हो जाते हैं। और हर तरह से लापरवाह होकर मस्ती करने वालो के बारे में क्या कहना। बधाई देता हूँ आपको इस लघुकथा पर।
आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढ़िया लघुकथा। आज हम विदेश का अंधानुकरण कर रहे हैं। सुशासन के नाम पर अगर कुछ बदल पाया है तो वह है सरकार का मुखौटा। आज भी प्राकृतिक आपदा में हालात भगवान भरोसे ही हो जाते हैं। और हर तरह से लापरवाह होकर मस्ती करने वालो के बारे में क्या कहना। बधाई देता हूँ आपको इस लघुकथा पर।