Comments - खुदापरस्ती - Open Books Online2024-03-29T05:41:03Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A944078&xn_auth=noसराहना के लिए आपका हार्दिक आभ…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-16:5170231:Comment:9446532018-08-16T11:49:35.778Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र जी</p>
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुरेन्द्र जी</p> आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवाद…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-16:5170231:Comment:9449262018-08-16T08:16:17.461Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बढ़िया कविता लिखी आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये</p>
<p>आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बढ़िया कविता लिखी आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये</p> सराहना के लिए और मार्गदर्शन…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-15:5170231:Comment:9447492018-08-15T13:56:57.286Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
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<dd><div class="xg_user_generated"><p>सराहना के लिए और मार्गदर्शन के लिए मैं आपका आभारी हूँ, मेरे भाई समर जी। सुधार कर दिए हैं। आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना है।</p>
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<dl id="c_f69" class="comment vcard xg_lightborder">
<dd><div class="xg_user_generated"><p>सराहना के लिए और मार्गदर्शन के लिए मैं आपका आभारी हूँ, मेरे भाई समर जी। सुधार कर दिए हैं। आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना है।</p>
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</dl> सराहना के लिए आपका हार्दिक आभ…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-15:5170231:Comment:9447482018-08-15T13:55:27.614Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया बबीता जी</span></p>
<p><span>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीया बबीता जी</span></p> जीवन की यथार्थता को कैसे स्वी…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-15:5170231:Comment:9446372018-08-15T10:03:57.817Zbabitaguptahttp://www.openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>जीवन की यथार्थता को कैसे स्वीकारे ,संदेश देती बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p>
<p>जीवन की यथार्थता को कैसे स्वीकारे ,संदेश देती बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p> इतनी अच्छी सराहना मिलना मेरे…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-15:5170231:Comment:9446342018-08-15T09:09:01.649Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>इतनी अच्छी सराहना मिलना मेरे लिए पारितोषिक है, शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। आपका हार्दिक आभार।</span></p>
<p><span>इतनी अच्छी सराहना मिलना मेरे लिए पारितोषिक है, शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। आपका हार्दिक आभार।</span></p> एक साथ कई यथार्थ समेटे जीवन…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-13:5170231:Comment:9445782018-08-13T12:15:37.668ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p> एक साथ कई यथार्थ समेटे जीवन की कड़वी और आदर्श बातें कहकर बहुत से संदेश वाहक सृजन हेतु व अंत में कठिन शब्दार्थ देने हेतु सादर हार्दिक आभार और बधाइयाँ मुहतरम जनाब <em><strong>विजय निकोरे </strong></em> साहिब।</p>
<p> एक साथ कई यथार्थ समेटे जीवन की कड़वी और आदर्श बातें कहकर बहुत से संदेश वाहक सृजन हेतु व अंत में कठिन शब्दार्थ देने हेतु सादर हार्दिक आभार और बधाइयाँ मुहतरम जनाब <em><strong>विजय निकोरे </strong></em> साहिब।</p> प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-13:5170231:Comment:9442722018-08-13T10:25:47.569ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,उर्दू शब्दों के इस्तेमाल से बहुत ही उम्दा अतुकान्त कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।</p>
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<p>//<span>मशगूल रखती रही है हमें शबोरोज़//</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'शबोरोज़'का अर्थ आपने 'हर रात' लिखा/लिया है,जबकि "शब-ओ-रोज़" का अर्थ होता है 'रात-दिन' ।</span></p>
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<p><span>//यार नापाक में कैसे जिए पाक कोई//</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'नापाक' की जगह "ना पाकी" लिखना…</span></p>
<p>प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,उर्दू शब्दों के इस्तेमाल से बहुत ही उम्दा अतुकान्त कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।</p>
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<p>//<span>मशगूल रखती रही है हमें शबोरोज़//</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'शबोरोज़'का अर्थ आपने 'हर रात' लिखा/लिया है,जबकि "शब-ओ-रोज़" का अर्थ होता है 'रात-दिन' ।</span></p>
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<p><span>//यार नापाक में कैसे जिए पाक कोई//</span></p>
<p><span>इस पंक्ति में 'नापाक' की जगह "ना पाकी" लिखना उचित होगा "ना पाकी"अर्थात 'अपवित्रता की हालत' ।</span></p>