Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T06:34:27Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A943283&xn_auth=noगज़ल अच्छी बनी है। आपको बधाई,…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-08:5170231:Comment:9439192018-08-08T07:28:08.729Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>गज़ल अच्छी बनी है। आपको बधाई, नवीन जी।</p>
<p>गज़ल अच्छी बनी है। आपको बधाई, नवीन जी।</p> 'बन के सुकरात कोई ज़ह्र पिया ह…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-07:5170231:Comment:9437532018-08-07T05:31:27.400ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>'<span>बन के सुकरात कोई ज़ह्र पिया हो जैसे'</span></p>
<p></p>
<p><span>इस मिसरे पर जनाब रवि जी की शंका ठीक लगती है,चाहें तो यूँ भी कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'ज़ह्र सुक़रात ने फिर आज पिया हो जैसे'</span></p>
<p><span>क्या कहते हैं रवि जी इस मिसरे के बारे में?</span></p>
<p>'<span>बन के सुकरात कोई ज़ह्र पिया हो जैसे'</span></p>
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<p><span>इस मिसरे पर जनाब रवि जी की शंका ठीक लगती है,चाहें तो यूँ भी कर सकते हैं:-</span></p>
<p><span>'ज़ह्र सुक़रात ने फिर आज पिया हो जैसे'</span></p>
<p><span>क्या कहते हैं रवि जी इस मिसरे के बारे में?</span></p> आ0 रवि शुक्ला जी सप्रेम आभार…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-07:5170231:Comment:9437492018-08-07T02:55:29.906ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 रवि शुक्ला जी सप्रेम आभार । इस पर मैं आ0 कबीर साहब का विचार भी आमंत्रित करता हूँ । </p>
<p>आ0 रवि शुक्ला जी सप्रेम आभार । इस पर मैं आ0 कबीर साहब का विचार भी आमंत्रित करता हूँ । </p> आदरणाीय नवीन मणिजी गजल के लिए…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-06:5170231:Comment:9434782018-08-06T18:17:21.951ZRavi Shuklahttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p><span style="font-size: 12pt;">आदरणाीय नवीन मणिजी गजल के लिए बघाई स्वीकार करें हर को काेई पिये जैसे या किसी ने जहर पिया हो जैसे कुछ इस प्रकार वाक्य विन्यास होरहा है इस मिसरे में । शंका का समाधान कीजियेगा। सादर </span></p>
<p><span style="font-size: 12pt;">आदरणाीय नवीन मणिजी गजल के लिए बघाई स्वीकार करें हर को काेई पिये जैसे या किसी ने जहर पिया हो जैसे कुछ इस प्रकार वाक्य विन्यास होरहा है इस मिसरे में । शंका का समाधान कीजियेगा। सादर </span></p> आ0 बसन्त कुमार शर्मा साहब हार…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-05:5170231:Comment:9435412018-08-05T17:33:15.108ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 बसन्त कुमार शर्मा साहब हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ0 बसन्त कुमार शर्मा साहब हार्दिक आभार ।</p> आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आ…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-05:5170231:Comment:9436312018-08-05T17:32:28.867ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार </p>
<p>आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार </p> आ0 नरेंद्र सिंह चौहान साहब शु…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-05:5170231:Comment:9437092018-08-05T17:31:37.805ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 नरेंद्र सिंह चौहान साहब शुक्रिया</p>
<p>आ0 नरेंद्र सिंह चौहान साहब शुक्रिया</p> आ0 सन्तोष खिरवादकर साहब हार्द…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-05:5170231:Comment:9434362018-08-05T17:30:49.450ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 सन्तोष खिरवादकर साहब हार्दिक आभार </p>
<p>आ0 सन्तोष खिरवादकर साहब हार्दिक आभार </p> आ0 कबीर सर सादर नमन ।
गलती क…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-05:5170231:Comment:9436292018-08-05T17:29:29.799ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 कबीर सर सादर नमन । </p>
<p>गलती के लिए माफ़ी ।</p>
<p></p>
<p>आगे से विशेष ध्यान दूंगा ।</p>
<p>आ0 कबीर सर सादर नमन । </p>
<p>गलती के लिए माफ़ी ।</p>
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<p>आगे से विशेष ध्यान दूंगा ।</p> वाह ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिये शे…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-05:5170231:Comment:9436112018-08-05T13:59:57.094Zsantosh khirwadkarhttp://www.openbooksonline.com/profile/santoshkhirwadkar
<p>वाह ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिये शे’र दर शे’र बधाई स्वीकारें!</p>
<p>राज़ से पर्दा उठाती हैं ये आँखे तेरी</p>
<p>मुन्तज़िर हो के तू मुद्दत से खड़ा हो जैसे ....बेहद ख़ूबसूरत शे’र !!!</p>
<p>वाह ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिये शे’र दर शे’र बधाई स्वीकारें!</p>
<p>राज़ से पर्दा उठाती हैं ये आँखे तेरी</p>
<p>मुन्तज़िर हो के तू मुद्दत से खड़ा हो जैसे ....बेहद ख़ूबसूरत शे’र !!!</p>