Comments - खोटा सिक्का (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T06:58:14Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A943041&xn_auth=noरचना के मर्म तक जाकर समीक्षात…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-20:5170231:Comment:9454272018-08-20T18:10:51.654ZDr. Chandresh Kumar Chhatlanihttp://www.openbooksonline.com/profile/ChandreshKumarChhatlani
<p>रचना के मर्म तक जाकर समीक्षात्मक मार्गदर्शन देती टिप्पणी हेतु सादर आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब। आपके सुझावों को अमल में लाने का प्रयास करता हूँ। सादर,</p>
<p>रचना के मर्म तक जाकर समीक्षात्मक मार्गदर्शन देती टिप्पणी हेतु सादर आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब। आपके सुझावों को अमल में लाने का प्रयास करता हूँ। सादर,</p> अपने नज़रिए से स्वाभ्यास हेतु …tag:www.openbooksonline.com,2018-08-03:5170231:Comment:9432412018-08-03T00:43:23.234ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>अपने नज़रिए से स्वाभ्यास हेतु अपने कुछ 'सामान्य पाठकीय' सुझाव पेश कर रहा हूँ। आशा है आदरणीय डॉ. चन्द्रेश सर जी आपका मार्गदर्शन भी मिल सकेगा :</p>
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<p>1- आरंभिक पंक्ति में //<span>उस सितारे की तीव्र तरंगदैर्ध्य वाली // वाक्यांंश में शब्द 'उस' के स्थान पर// साथी खिलाड़ियों से बाजी जीतने वाले // या केवल //अबकी बाज़ी जीतने वाले// किया जाये, तो?</span></p>
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<p><span>2- रचना की नौवीं पंक्ति में //के बाद उसने कुछ बड़ा जीतने की..// में वाक्यांश में शब्द 'उसने' के स्थान पर //सूर्य या…</span></p>
<p>अपने नज़रिए से स्वाभ्यास हेतु अपने कुछ 'सामान्य पाठकीय' सुझाव पेश कर रहा हूँ। आशा है आदरणीय डॉ. चन्द्रेश सर जी आपका मार्गदर्शन भी मिल सकेगा :</p>
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<p>1- आरंभिक पंक्ति में //<span>उस सितारे की तीव्र तरंगदैर्ध्य वाली // वाक्यांंश में शब्द 'उस' के स्थान पर// साथी खिलाड़ियों से बाजी जीतने वाले // या केवल //अबकी बाज़ी जीतने वाले// किया जाये, तो?</span></p>
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<p><span>2- रचना की नौवीं पंक्ति में //के बाद उसने कुछ बड़ा जीतने की..// में वाक्यांश में शब्द 'उसने' के स्थान पर //सूर्य या उसका कोई सरल पर्यायवाची शब्द// रखने से हम सामान्य पाठकों के लिये क्या स्पष्टता बढ़ सकती है?</span></p>
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<p><span>3- //चौंधते हुए ..// के पहले भूलवश /र/ टंकित हो गया/ छूट गया है । 4- अंत में //नहीं लगा सका// के ठीक बाद ही समापन उत्कृष्ट कटाक्षपूर्ण पंचपंक्ति पंचपंक्ति का पहला शब्द //और// जोड़ दिया जाये, तो? बेटी धरती को 'खोटे सिक्के' के रूप में स्वीकार किये जाने से विजेता सितारों द्वारा मना किया जाना और हालात के दोषी मनुष्यों के प्रति धरती द्वारा 'मानवों का शुक्र अदा करना' इस लघुकथा को ऊंचाई पर ले जाता है शीर्षक सार्थक करते हुए 'अति सर्वत्र वर्जयेत'की याद दिलाते हुए और 'पर्यावरण-चिंतन-मनन' उत्पन्न करते हुए रचना को उद्देश्यपू्र्ति की ओर ले जाते हुए। एक बार पुनः हार्दिक बधाई और हमें यूं मार्गदर्शित करने के लिये हार्दिक आभार।</span></p> ग्रहों और उपग्रहों के बीच सूर…tag:www.openbooksonline.com,2018-08-02:5170231:Comment:9433142018-08-02T19:36:24.125ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p><em>ग्रहों और उपग्रहों के बीच सूर्य और पृथ्वी की नियति और विधि-विधान/प्रकृति के विरुद्ध मानव की ग़ुस्ताख़ियां और वर्तमान में धरा और उसके आवरण की दुर्दशा को बाख़ूबी उभारती विचारोत्तेजक वास्तविक मानवेतर लघुकथा सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब</em> <span style="text-decoration: underline;"><strong>डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी</strong></span> <em>साहिब। हालांकि आरंभ में सामान्य पाठकों के लिए भाषा शैली कुछ कठिन लगी।</em></p>
<p><em>ग्रहों और उपग्रहों के बीच सूर्य और पृथ्वी की नियति और विधि-विधान/प्रकृति के विरुद्ध मानव की ग़ुस्ताख़ियां और वर्तमान में धरा और उसके आवरण की दुर्दशा को बाख़ूबी उभारती विचारोत्तेजक वास्तविक मानवेतर लघुकथा सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब</em> <span style="text-decoration: underline;"><strong>डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी</strong></span> <em>साहिब। हालांकि आरंभ में सामान्य पाठकों के लिए भाषा शैली कुछ कठिन लगी।</em></p>