Comments - सीख लिया है- एक ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T02:30:50Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A940923&xn_auth=noनीलम जी, ये तेजवीर सिंह जी की…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9410032018-07-23T12:46:27.603ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>नीलम जी, ये तेजवीर सिंह जी की लघुकथा नहीं,विनय जी की ग़ज़ल है, देखिये ।</p>
<p>नीलम जी, ये तेजवीर सिंह जी की लघुकथा नहीं,विनय जी की ग़ज़ल है, देखिये ।</p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी, अच्छी…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9410792018-07-23T09:27:48.638ZNeelam Upadhyayahttp://www.openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी, अच्छी सन्देश परक लघुकथा की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें । </p>
<p> आदरणीय तेजवीर सिंह जी, अच्छी सन्देश परक लघुकथा की प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें । </p> बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9411502018-07-23T07:42:11.842Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, त्रुटि की तरफ इंगित करने का शुक्रिया. सुधारने की कोशिश करता हूँ</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, त्रुटि की तरफ इंगित करने का शुक्रिया. सुधारने की कोशिश करता हूँ</p> बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9409842018-07-23T07:41:06.764Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ तेज वीर सिंह जी</p> बहुत बहुत आभार आ बबिता गुप्ता…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9412552018-07-23T07:40:45.597Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ बबिता गुप्ता जी</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ बबिता गुप्ता जी</p> बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-23:5170231:Comment:9410642018-07-23T07:40:21.078Zविनय कुमारhttp://www.openbooksonline.com/profile/vinayakumarsingh
<p>बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब</p>
<p>बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब</p> जनाब विनय कुमार जी आदाब,आपको…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-22:5170231:Comment:9412272018-07-22T06:55:30.613ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब,आपको ग़ज़ल कहते देख प्रसन्नता हुई,अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>अंतिम दो अशआर में क़ाफ़िया दोष है,देखियेगा ।</p>
<p>जनाब विनय कुमार जी आदाब,आपको ग़ज़ल कहते देख प्रसन्नता हुई,अच्छा प्रयास हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>अंतिम दो अशआर में क़ाफ़िया दोष है,देखियेगा ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमा…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-22:5170231:Comment:9411302018-07-22T06:08:59.243ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>दर्द अगर हद से बढ़ जाए </span><br/><span>हमने पिघलना सीख लिया है</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>दर्द अगर हद से बढ़ जाए </span><br/><span>हमने पिघलना सीख लिया है</span></p> समय के साथ चलने से जिन्दगी थो…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9409432018-07-21T17:37:16.254Zbabitaguptahttp://www.openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>समय के साथ चलने से जिन्दगी थोडी सी आसान हो जाती है, बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सर जी. </p>
<p></p>
<p>समय के साथ चलने से जिन्दगी थोडी सी आसान हो जाती है, बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सर जी. </p>
<p></p> जी,बिल्कुल। .... वक़्त/विज्ञान…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-21:5170231:Comment:9409282018-07-21T12:48:39.010ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>जी,बिल्कुल। .... वक़्त/विज्ञान-तकनीक-विकास/विश्व-विकास/सामाजिक-आर्थिक-व्यावसायिक विकास अर्थात वक़्त के साथ, हालात के साथ हमने <em>बदलना</em> सीख लिया है। बेहतरीन यथार्थपूर्ण ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय <em><strong>विनय कुमार</strong></em> साहिब।</p>
<p>जी,बिल्कुल। .... वक़्त/विज्ञान-तकनीक-विकास/विश्व-विकास/सामाजिक-आर्थिक-व्यावसायिक विकास अर्थात वक़्त के साथ, हालात के साथ हमने <em>बदलना</em> सीख लिया है। बेहतरीन यथार्थपूर्ण ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय <em><strong>विनय कुमार</strong></em> साहिब।</p>