Comments - 'स्वावलंबन, भारतीयता या आज़ादी' (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T13:46:56Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A940410&xn_auth=noमेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय दे…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-18:5170231:Comment:9405552018-07-18T17:40:26.500ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p><em>मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर इसके मर्म तक जाकर अपने विचार सांझा करते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा जनाब <strong>मोहम्मद</strong> <strong>आरिफ़</strong> साहिब, जनाब <strong>समर कबीर</strong> साहिब,जनाब <strong>विजय निकोरे</strong> साहिब, जनाब <strong>तस्दीक़</strong> <strong>अहमद ख़ान</strong> साहिब, जनाब <strong>सुशील सरना</strong> साहिब,मुहतरमा <strong>नीलम उपाध्याय</strong> साहिबा और मुहतरमा <strong>बबीता गुप्ता</strong> साहिबा।</em></p>
<p><em>मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर समय देकर इसके मर्म तक जाकर अपने विचार सांझा करते हुए मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा जनाब <strong>मोहम्मद</strong> <strong>आरिफ़</strong> साहिब, जनाब <strong>समर कबीर</strong> साहिब,जनाब <strong>विजय निकोरे</strong> साहिब, जनाब <strong>तस्दीक़</strong> <strong>अहमद ख़ान</strong> साहिब, जनाब <strong>सुशील सरना</strong> साहिब,मुहतरमा <strong>नीलम उपाध्याय</strong> साहिबा और मुहतरमा <strong>बबीता गुप्ता</strong> साहिबा।</em></p> जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ द…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-18:5170231:Comment:9406292018-07-18T16:37:09.831ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब , उम्दा लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l </p>
<p>जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब , उम्दा लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l </p> आदरणीय उस्मानी साहिब , आदाब .…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-17:5170231:Comment:9405092018-07-17T12:00:22.783ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>आदरणीय उस्मानी साहिब , आदाब .... वर्तमान को जीती इस बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय उस्मानी साहिब , आदाब .... वर्तमान को जीती इस बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p> अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-17:5170231:Comment:9404782018-07-17T08:48:17.253Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई</p>
<p>अच्छी लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई</p> आधुनिकता की दौड़ में चाहे जितन…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-16:5170231:Comment:9402722018-07-16T15:42:41.252Zbabitaguptahttp://www.openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>आधुनिकता की दौड़ में चाहे जितनी संतुष्टि करले लेकिन सही आत्म संतुष्टि माँ बनने पर ही मिलती हैं.बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p>
<p>आधुनिकता की दौड़ में चाहे जितनी संतुष्टि करले लेकिन सही आत्म संतुष्टि माँ बनने पर ही मिलती हैं.बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ,…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-16:5170231:Comment:9402592018-07-16T05:03:08.095ZNeelam Upadhyayahttp://www.openbooksonline.com/profile/NeelamUpadhyaya
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी , सच कहा। स्त्री की परिपूर्णता तभी होती है जब माँ बनती है। अच्छी लघु कथा की पेशकश। बधाई स्वीकार करें । </p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी , सच कहा। स्त्री की परिपूर्णता तभी होती है जब माँ बनती है। अच्छी लघु कथा की पेशकश। बधाई स्वीकार करें । </p> जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-15:5170231:Comment:9402552018-07-15T14:41:27.128ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आ…tag:www.openbooksonline.com,2018-07-15:5170231:Comment:9404402018-07-15T11:51:05.129ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> स्त्री होने की चरम पराकाष्ठा उसका माँ बनना है ।आजकल देखने में यह आ रहा है कि हम कितने फैशनेबल हैं । फैशन की अंधी दौड़ में धर्म और नैतिकता को ताक में रख दिया है जबकि यह होना नहीं चाहिए । बहुत ही उम्दा लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,</p>
<p> स्त्री होने की चरम पराकाष्ठा उसका माँ बनना है ।आजकल देखने में यह आ रहा है कि हम कितने फैशनेबल हैं । फैशन की अंधी दौड़ में धर्म और नैतिकता को ताक में रख दिया है जबकि यह होना नहीं चाहिए । बहुत ही उम्दा लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>