Comments - समय की लाठियां (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-29T14:50:08Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A931673&xn_auth=noटिप्पणियों के लिए पुनः हार्दि…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-31:5170231:Comment:9325092018-05-31T15:56:39.568ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>टिप्पणियों के लिए पुनः हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।</p>
<p>टिप्पणियों के लिए पुनः हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।</p> शंका निवारण हेतु बहुत-बहुत आभ…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-31:5170231:Comment:9320542018-05-31T05:16:36.355ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>शंका निवारण हेतु बहुत-बहुत आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. सादर.</p>
<p>शंका निवारण हेतु बहुत-बहुत आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. सादर.</p> "लहराती सी लाठियां" से दरअसल…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-29:5170231:Comment:9318032018-05-29T20:16:55.293ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>"लहराती सी लाठियां" से दरअसल यहाँ ' झूमती लाठियां' है। प्रायः हाथों में ली इन लाठियों का जानवर भगाने के अलावा कोई उपयोग नहीं होता, केवल हाथों मेंं 'झूमती सी' रहती हैं। बहुआयामी मतलब देने हेतु ऐसा शीर्षक दिया था। सुझाव हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय महेंद्र कुमार जी।</p>
<p>"लहराती सी लाठियां" से दरअसल यहाँ ' झूमती लाठियां' है। प्रायः हाथों में ली इन लाठियों का जानवर भगाने के अलावा कोई उपयोग नहीं होता, केवल हाथों मेंं 'झूमती सी' रहती हैं। बहुआयामी मतलब देने हेतु ऐसा शीर्षक दिया था। सुझाव हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय महेंद्र कुमार जी।</p> मेरी इस रचना के अवलोकन, अनुमो…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-29:5170231:Comment:9318012018-05-29T20:11:35.065ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>मेरी इस रचना के अवलोकन, अनुमोदन और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी और आदरणीया बबीता गुप्ता जी।</p>
<p>मेरी इस रचना के अवलोकन, अनुमोदन और प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद और आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी और आदरणीया बबीता गुप्ता जी।</p> सही कहा आपने, मुँह पर "सही नी…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-28:5170231:Comment:9317652018-05-28T05:03:46.977ZMahendra Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/Mahendra
<p>सही कहा आपने, मुँह पर "<span>सही नीयत और सही तरक़्क़ी" और दिल में "शाही नीयत और शाही तरक़्क़ी". यही है आजकल की राजनीति का चेहरा. इस बढ़िया लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी. </span></p>
<p>1. //<span>लहरा सी रही लाठियां// क्या लाठियां सच </span>में नहीं लहरा रही हैं? यदि 'हाँ' तो कोई कोई बात नहीं, पर यदि 'नहीं' तो इसे "लहराती लाठियां" अथवा "लहरा रही लाठियां" होना चाहिए. </p>
<p>2. शीर्षक पर पुनर्विचार निवेदित है.</p>
<p>सादर.</p>
<p>सही कहा आपने, मुँह पर "<span>सही नीयत और सही तरक़्क़ी" और दिल में "शाही नीयत और शाही तरक़्क़ी". यही है आजकल की राजनीति का चेहरा. इस बढ़िया लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी. </span></p>
<p>1. //<span>लहरा सी रही लाठियां// क्या लाठियां सच </span>में नहीं लहरा रही हैं? यदि 'हाँ' तो कोई कोई बात नहीं, पर यदि 'नहीं' तो इसे "लहराती लाठियां" अथवा "लहरा रही लाठियां" होना चाहिए. </p>
<p>2. शीर्षक पर पुनर्विचार निवेदित है.</p>
<p>सादर.</p> लघु कथा का माध्यम से लाठी के…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-27:5170231:Comment:9316742018-05-27T15:05:05.696Zbabitaguptahttp://www.openbooksonline.com/profile/babitagupta631
<p>लघु कथा का माध्यम से लाठी के दबदबे का सही कटाक्ष किया हैं,प्रस्तुत रचना पर बधाई .</p>
<p>लघु कथा का माध्यम से लाठी के दबदबे का सही कटाक्ष किया हैं,प्रस्तुत रचना पर बधाई .</p>