Comments - विरह रो रहा है... मिलन गा रहा है - Open Books Online2024-03-29T07:54:59Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A930645&xn_auth=noसराहना के लिए आपका हार्दिक आभ…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-22:5170231:Comment:9313352018-05-22T02:25:40.087Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p><span>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी</span></p>
<p><span>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी</span></p> सराहना के लिए आपका हार्दिक आभ…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-22:5170231:Comment:9310992018-05-22T02:24:18.030Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहित जी</p>
<p>सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय मोहित जी</p> वाह आदरणीय विजय निकोर जी वाह…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-14:5170231:Comment:9306522018-05-14T10:04:55.519ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
<p>वाह आदरणीय विजय निकोर जी वाह ... अंतर्मन के भावों का सहज प्रस्तुतीकरण हुआ है ... शब्द सौंदर्य और भाव प्रवाह देखते ही बनता है ... मन का डर प्रेमासक्ति का चरम है ... कल्पना और कलम का मेल अद्भुत हुआ है ... दिल से बधाई स्वीकार करें सर।</p>
<p>वाह आदरणीय विजय निकोर जी वाह ... अंतर्मन के भावों का सहज प्रस्तुतीकरण हुआ है ... शब्द सौंदर्य और भाव प्रवाह देखते ही बनता है ... मन का डर प्रेमासक्ति का चरम है ... कल्पना और कलम का मेल अद्भुत हुआ है ... दिल से बधाई स्वीकार करें सर।</p>