Comments - मातृ दिवस पर दोहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T14:42:48Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A930550&xn_auth=noआ. भाई रमबली जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-17:5170231:Comment:9307812018-05-17T05:12:24.222Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रमबली जी, सादर अभिवादन । उपस्थिति और उत्तम सुझाव के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई रमबली जी, सादर अभिवादन । उपस्थिति और उत्तम सुझाव के लिए आभार।</p> आदरणीय लक्षमण भाई जी सभी दोहे…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-17:5170231:Comment:9306882018-05-17T03:21:32.305Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>आदरणीय लक्षमण भाई जी सभी दोहे सुन्दर और सार्थक हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>
<p></p>
<p>प्रथम दोहे के प्रथम चरण को 'घर को घर जैसा रखे' करें तो कथ्य और बेहतर हो जाएगा।</p>
<p>तीसरे दोहे के तृतीय चरण को 'हरिचंदन सम श्रेष्ठ है' करके देखें कथ्य और सुंदर हो जाएगा।</p>
<p>चौथे दोहे के प्रथम पद को 'शीतल सुखद बयार माँ, हरती हर संताप।' इस प्रकार करने पर सुंदरता और बढ़ जाएगी।</p>
<p></p>
<p>शेष सब शुभ शुभ।सादर</p>
<p>आदरणीय लक्षमण भाई जी सभी दोहे सुन्दर और सार्थक हुए हैं हार्दिक बधाई स्वीकार करें।</p>
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<p>प्रथम दोहे के प्रथम चरण को 'घर को घर जैसा रखे' करें तो कथ्य और बेहतर हो जाएगा।</p>
<p>तीसरे दोहे के तृतीय चरण को 'हरिचंदन सम श्रेष्ठ है' करके देखें कथ्य और सुंदर हो जाएगा।</p>
<p>चौथे दोहे के प्रथम पद को 'शीतल सुखद बयार माँ, हरती हर संताप।' इस प्रकार करने पर सुंदरता और बढ़ जाएगी।</p>
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<p>शेष सब शुभ शुभ।सादर</p> आ. भाई आरिफ जी, उपस्थिति और उ…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-15:5170231:Comment:9306672018-05-15T07:30:53.416Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आरिफ जी, उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई आरिफ जी, उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-15:5170231:Comment:9305882018-05-15T05:31:18.398ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,</p>
<p> माँ की गरिमा-गौरव को रेखांकित करते बेहतरीन दोहे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,</p>
<p> माँ की गरिमा-गौरव को रेखांकित करते बेहतरीन दोहे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p> आ. भाई आषुतोश जी, उपस्थिति और…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-14:5170231:Comment:9306572018-05-14T12:23:00.724Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आषुतोश जी, उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई आषुतोश जी, उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-14:5170231:Comment:9305782018-05-14T12:21:26.684Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से लेखन सफल हुआ । स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से लेखन सफल हुआ । स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार ।</p> आदरणीय भाई लक्ष्मण जी बहुत ही…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-14:5170231:Comment:9307352018-05-14T11:00:41.496ZDr Ashutosh Mishrahttp://www.openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण जी बहुत ही उम्दा दोहे हुए हैं ..माँ की सार्थकता और ममता को स्थापित करते शानदार दोहों के लिए हादिक बधाई सादर </p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण जी बहुत ही उम्दा दोहे हुए हैं ..माँ की सार्थकता और ममता को स्थापित करते शानदार दोहों के लिए हादिक बधाई सादर </p> जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी…tag:www.openbooksonline.com,2018-05-14:5170231:Comment:9305742018-05-14T10:26:06.075ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी आदाब,मातृ दिवस पर बहुत उम्दा और सार्थक दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरे दोहे में 'चीज़' और 'बीज' की तुकान्तता सहीह नहीं है,देखियेगा ।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी आदाब,मातृ दिवस पर बहुत उम्दा और सार्थक दोहे रचे आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>दूसरे दोहे में 'चीज़' और 'बीज' की तुकान्तता सहीह नहीं है,देखियेगा ।</p>