Comments - भूख (लघुकथा) - Open Books Online2024-03-28T23:55:43Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A918947&xn_auth=noआदरणीय डा.साहब..हार्दिक आभार…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-15:5170231:Comment:9195132018-03-15T12:06:10.808Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय डा.साहब..हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ..मुझे भी लगता कुछ और बेहतर किया जा सकता है...निरंतर प्रयासरत हूँ..</p>
<p>आदरणीय डा.साहब..हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ..मुझे भी लगता कुछ और बेहतर किया जा सकता है...निरंतर प्रयासरत हूँ..</p> उचित ही फ़रमाया आपने आदरणीय सो…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-15:5170231:Comment:9192802018-03-15T12:04:32.029Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>उचित ही फ़रमाया आपने आदरणीय सोमेश जी..आपको रचना पसंद आई आपका हार्दिक अभिनन्दन..</p>
<p>उचित ही फ़रमाया आपने आदरणीय सोमेश जी..आपको रचना पसंद आई आपका हार्दिक अभिनन्दन..</p> भाई ब्रिजेश जी रचना के भाव बह…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-15:5170231:Comment:9193612018-03-15T06:51:56.363ZDr Ashutosh Mishrahttp://www.openbooksonline.com/profile/DrAshutoshMishra
<p>भाई ब्रिजेश जी रचना के भाव बहुत अच्छे लगे ..मैं जिस बात पर उलझा था उस का संकेत आदरनीय शेख जी ने अपनी टिप्पणी में बखूबी क्र दिया है रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p>
<p>भाई ब्रिजेश जी रचना के भाव बहुत अच्छे लगे ..मैं जिस बात पर उलझा था उस का संकेत आदरनीय शेख जी ने अपनी टिप्पणी में बखूबी क्र दिया है रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p> lghuktha ki sbse bdi chunoti…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-15:5170231:Comment:9193542018-03-15T04:54:47.244Zsomesh kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/someshkuar
<p>lghuktha ki sbse bdi chunoti yhi hoti hai ki use gagar me sagar bhrna hota hai.km shbdon me gambhir ghav krne hote hai mujhe lgta hai islie lghuktha ka stik mulaynkn kthin hota hai.JO bhi ho aapki lghuktha achchi lgi </p>
<p>lghuktha ki sbse bdi chunoti yhi hoti hai ki use gagar me sagar bhrna hota hai.km shbdon me gambhir ghav krne hote hai mujhe lgta hai islie lghuktha ka stik mulaynkn kthin hota hai.JO bhi ho aapki lghuktha achchi lgi </p> जी आदरणीय शेख साहब..दरअसल मुझ…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-14:5170231:Comment:9194302018-03-14T11:19:42.899Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>जी आदरणीय शेख साहब..दरअसल मुझे लगता ही लघु कथा पाठक से बात करती हुई होनी चाहिए..कोई भी लघुकथा अपने अंत में पाठक के दिलो दिमाग में एक टीस सी छोड़ती हो तो वो सफल है।जितना लगता है लघु कथा लिखना उतना आसान नहीं है।बड़ी हिम्मत कर के ये मेरा पहला प्रयास है।आपका बहुत बहुत शुक्रिया।</p>
<p>जी आदरणीय शेख साहब..दरअसल मुझे लगता ही लघु कथा पाठक से बात करती हुई होनी चाहिए..कोई भी लघुकथा अपने अंत में पाठक के दिलो दिमाग में एक टीस सी छोड़ती हो तो वो सफल है।जितना लगता है लघु कथा लिखना उतना आसान नहीं है।बड़ी हिम्मत कर के ये मेरा पहला प्रयास है।आपका बहुत बहुत शुक्रिया।</p> आदरणीय समर जी हौसलाफजाई के लि…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-14:5170231:Comment:9191822018-03-14T11:14:42.581Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय समर जी हौसलाफजाई के लिए आपका तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ।</p>
<p>आदरणीय समर जी हौसलाफजाई के लिए आपका तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ।</p> भूख और भूखे पेट के हालात पर ब…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-13:5170231:Comment:9191652018-03-13T16:40:34.208ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>भूख और भूखे पेट के हालात पर बढ़िया रचना। इसे दो तीन तरह से लिख कर देखिएगा, तो बेहतर रूप भी आप दे सकेंगे। हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।</p>
<p>भूख और भूखे पेट के हालात पर बढ़िया रचना। इसे दो तीन तरह से लिख कर देखिएगा, तो बेहतर रूप भी आप दे सकेंगे। हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।</p> जनाब बृजेश जी आदाब,अच्छी लघुक…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-13:5170231:Comment:9191052018-03-13T16:16:50.400ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बृजेश जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब बृजेश जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय महा…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-13:5170231:Comment:9191322018-03-13T04:33:45.720Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय महाजन जी..बस भूख से जूझते हुए एक मासूम बचपन की मनोदशा का वर्णन करने की कोशिश की..</p>
<p>बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय महाजन जी..बस भूख से जूझते हुए एक मासूम बचपन की मनोदशा का वर्णन करने की कोशिश की..</p> वाह आ0 ब्रजेश कुमार जी बहुत ख…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-12:5170231:Comment:9190782018-03-12T17:56:10.329ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>वाह आ0 ब्रजेश कुमार जी बहुत खूब । अच्छी लघु कथा । कथाओं का इतना जानकार तो नहीं हूँ लेकिन एक श्रोता के जानिब हर बेहतरीन कहानी का कोई उद्देश्य व संदेश ज़रूर होता है । </p>
<p>सादर !</p>
<p>वाह आ0 ब्रजेश कुमार जी बहुत खूब । अच्छी लघु कथा । कथाओं का इतना जानकार तो नहीं हूँ लेकिन एक श्रोता के जानिब हर बेहतरीन कहानी का कोई उद्देश्य व संदेश ज़रूर होता है । </p>
<p>सादर !</p>