Comments - तरही ग़ज़ल : कभी पगडंडियों से राजपथ के प्रश्न मत पूछो // -सौरभ - Open Books Online2024-03-29T15:56:50Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A916472&xn_auth=noसर, कभी पगडंडियों से में सानी…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-04:5170231:Comment:9173822018-03-04T08:42:58.145ZNilesh Shevgaonkarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
सर, कभी पगडंडियों से में सानी मिसरे में उसे आने से शतुर्गुरबा भी लग रहा है शायद,,, देखिएगा
सर, कभी पगडंडियों से में सानी मिसरे में उसे आने से शतुर्गुरबा भी लग रहा है शायद,,, देखिएगा //कभी पगडंडियों से राजपथ के प…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-03:5170231:Comment:9175572018-03-03T09:04:44.028Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>//<span>कभी पगडंडियों से राजपथ के प्रश्न मत पूछो </span><br/><span>सियासत की उसे हर बदग़ुमानी याद आयेगी //...</span></p>
<p></p>
<p><span>सभी शेर अच्छे लगे, लेकिन इस शेर का अंदाज़ कुछ और ही है। दिल से बधाई। हाँ, चर्चा भी अच्छी लगी, बहुत कुछ सीखने को मिला।</span></p>
<p>//<span>कभी पगडंडियों से राजपथ के प्रश्न मत पूछो </span><br/><span>सियासत की उसे हर बदग़ुमानी याद आयेगी //...</span></p>
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<p><span>सभी शेर अच्छे लगे, लेकिन इस शेर का अंदाज़ कुछ और ही है। दिल से बधाई। हाँ, चर्चा भी अच्छी लगी, बहुत कुछ सीखने को मिला।</span></p> आ. सौरभ सर,बहुत दिनों बाद आप…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9174262018-03-02T14:44:28.292ZNilesh Shevgaonkarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p><span>आ. सौरभ सर,</span><br></br><span>बहुत दिनों बाद आप ने ग़ज़ल पोस्ट की है और मैं भी बहुत दिनों बाद किसी सार्थक चर्चा को पढ़ रहा हूँ ..</span><br></br><span>ग़ज़ल हमेशा की तरह उत्कृष्ट है लेकिन समर सर की बात से मैं सहमत हूँ..</span><br></br><span>ज़बानी याद हो जायेगी तो ठीक लगता लेकिन ज़बानी याद आयेगी में थोडा अटपटापन है ... जैसे .. मुझे ग़ालिब की ग़ज़लें ज़बानी याद हैं...</span><br></br><span>मुझे ग़ालिब की ग़ज़लें याद आती हैं.... मुझे ग़ालिब की ग़ज़लें ज़बानी याद आती हैं...</span><br></br><span>एक सुझाव है…</span></p>
<p><span>आ. सौरभ सर,</span><br/><span>बहुत दिनों बाद आप ने ग़ज़ल पोस्ट की है और मैं भी बहुत दिनों बाद किसी सार्थक चर्चा को पढ़ रहा हूँ ..</span><br/><span>ग़ज़ल हमेशा की तरह उत्कृष्ट है लेकिन समर सर की बात से मैं सहमत हूँ..</span><br/><span>ज़बानी याद हो जायेगी तो ठीक लगता लेकिन ज़बानी याद आयेगी में थोडा अटपटापन है ... जैसे .. मुझे ग़ालिब की ग़ज़लें ज़बानी याद हैं...</span><br/><span>मुझे ग़ालिब की ग़ज़लें याद आती हैं.... मुझे ग़ालिब की ग़ज़लें ज़बानी याद आती हैं...</span><br/><span>एक सुझाव है ....</span><br/><span>अभी इग्नोर कर दो... ना-गहानी याद आएगी </span><br/><span>अकेले में तुम्हें मेरी कहानी याद आयेगी.... शायद ना-गहानी आपके भाव को आपके अनुरूप व्यक्त कर सके..<br/></span><span>बधाई </span><br/><span>सादर </span></p> सानी मिसरा फिर यूँ होगा बहना:…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9175182018-03-02T13:45:54.055ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>सानी मिसरा फिर यूँ होगा बहना:-</p>
<p>'अकेले में तुम्हें मेरी कहानी याद आयेगी</p>
<p>ठहर कर सोचना, वो ज़िन्दगानी याद आयेगी'</p>
<p>अच्छा लगा आपका सुझाव ।</p>
<p>सानी मिसरा फिर यूँ होगा बहना:-</p>
<p>'अकेले में तुम्हें मेरी कहानी याद आयेगी</p>
<p>ठहर कर सोचना, वो ज़िन्दगानी याद आयेगी'</p>
<p>अच्छा लगा आपका सुझाव ।</p> आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपने…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9173152018-03-02T13:41:38.553ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपने चर्चा में भाग लिया, आपका धन्यवाद। आदरणीया, भाषा एकरंगी नहीं होती, न शब्दों का भाव एकरंगा होता है। हिंदी के परिप्रेक्ष्य से बात हो गयी है। साथ ही, आदरणीय समीर साहब के विंदुओं से भी हम वाकिफ़ हो चुके हैं। सभी पक्षों से जानकार होना उचित है। ताकि अपनी प्रयुक्त भाषा के प्रति हम आश्वस्त रहें।</p>
<p>सादर</p>
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<p>आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपने चर्चा में भाग लिया, आपका धन्यवाद। आदरणीया, भाषा एकरंगी नहीं होती, न शब्दों का भाव एकरंगा होता है। हिंदी के परिप्रेक्ष्य से बात हो गयी है। साथ ही, आदरणीय समीर साहब के विंदुओं से भी हम वाकिफ़ हो चुके हैं। सभी पक्षों से जानकार होना उचित है। ताकि अपनी प्रयुक्त भाषा के प्रति हम आश्वस्त रहें।</p>
<p>सादर</p>
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<p></p> अकेले में तुम्हें मेरी कहानी…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9172262018-03-02T13:08:51.589Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>अकेले में तुम्हें मेरी कहानी याद आयेगी</span></p>
<p><span>ठहर कर सोचिए, वो ज़िंदग़ानी याद आयेगी ---आद० सौरभ जी इसे यदि मतला बना लें तो मेरे ख़याल से संशय का निवारण हो जाएगा </span></p>
<p>सात शेर में भी ग़ज़ल बहुत सुंदर लगेगी |<br/><span> </span><br/><span> </span></p>
<p><span>अकेले में तुम्हें मेरी कहानी याद आयेगी</span></p>
<p><span>ठहर कर सोचिए, वो ज़िंदग़ानी याद आयेगी ---आद० सौरभ जी इसे यदि मतला बना लें तो मेरे ख़याल से संशय का निवारण हो जाएगा </span></p>
<p>सात शेर में भी ग़ज़ल बहुत सुंदर लगेगी |<br/><span> </span><br/><span> </span></p> जय हो:-))tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9172212018-03-02T11:26:10.966ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जय हो:-))</p>
<p>जय हो:-))</p> आदरणीय, आप अपने विंदु के साथ…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9174192018-03-02T11:02:28.903ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आदरणीय, आप अपने विंदु के साथ प्रसन्न रहें.. मैं अपने विंदु के साथ होली खेलूँ। .. जय-जय..</p>
<p></p>
<p>अलबत्ता, ओबीओ चर्चा की परिपाटी का निर्वहन करता है। यह चर्चा अन्य पाठकों के लिए उदाहरण स्वरूप होनी चाहिए, जो अभी सापेक्षतः नए हैं, या, पुराने होने के बावज़ूद 'शुभकामनाएँ' कह कर दायित्व की इतिश्री कर लेते हैं।</p>
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<p>आदरणीय, आप अपने विंदु के साथ प्रसन्न रहें.. मैं अपने विंदु के साथ होली खेलूँ। .. जय-जय..</p>
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<p>अलबत्ता, ओबीओ चर्चा की परिपाटी का निर्वहन करता है। यह चर्चा अन्य पाठकों के लिए उदाहरण स्वरूप होनी चाहिए, जो अभी सापेक्षतः नए हैं, या, पुराने होने के बावज़ूद 'शुभकामनाएँ' कह कर दायित्व की इतिश्री कर लेते हैं।</p>
<p></p> //कंठस्थ हुआ,आदरणीय सही है,तो…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9172202018-03-02T10:46:07.960ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>//कंठस्थ हुआ,आदरणीय सही है,तो कंठस्थ होना चाहिए और कंठस्थ हो जाएगा जैसे वाक्य क्यों सही नहीं हैं ? जबकि ये तीनों वाक्य काल के तीन विभिन्न भेदों का प्रारूप या उदाहरण हैं//</p>
<p>आपके लिखे तीनों वाक्य व्याकरण की दृष्टि से सही हैं,लेकिन यहाँ चर्चा "कंठस्थ" शब्द पर नहीं "ज़बानी याद आयेगी" पर हो रही है,और कंठस्थ शब्द 'ज़बानी' के अर्थ के लिए इस्तेमाल हुआ है,'उसे सबक़ ज़बानी याद है','उसे सबक़ ज़बानी याद होना चाहिए','उसे सबक़ ज़बानी याद हो जाएगा',ये तीनों वाक्य व्याकरण के हिसाब से बिलकुल सही हैं,लेकिन 'उसे…</p>
<p>//कंठस्थ हुआ,आदरणीय सही है,तो कंठस्थ होना चाहिए और कंठस्थ हो जाएगा जैसे वाक्य क्यों सही नहीं हैं ? जबकि ये तीनों वाक्य काल के तीन विभिन्न भेदों का प्रारूप या उदाहरण हैं//</p>
<p>आपके लिखे तीनों वाक्य व्याकरण की दृष्टि से सही हैं,लेकिन यहाँ चर्चा "कंठस्थ" शब्द पर नहीं "ज़बानी याद आयेगी" पर हो रही है,और कंठस्थ शब्द 'ज़बानी' के अर्थ के लिए इस्तेमाल हुआ है,'उसे सबक़ ज़बानी याद है','उसे सबक़ ज़बानी याद होना चाहिए','उसे सबक़ ज़बानी याद हो जाएगा',ये तीनों वाक्य व्याकरण के हिसाब से बिलकुल सही हैं,लेकिन 'उसे सबक़ ज़बानी याद आएगा' व्याकरण के हिसाब से ग़लत है,मैं सिर्फ़ इस बिंदु की तरफ़ आपको तवज्जो दिलाना चाहता हूँ ।</p>
<p>इस जुमले को अगर 'कंठस्थ'शब्द के साथ देखें, 'कंठस्थ याद आएगा' ये जुमला किसी तरह भी व्याकरण की दृष्टि से सही नहीं माना जा सकता,ग़ौर फरमाइयेगा ।</p> कंठस्थ हुआ, आदरणीय, सही है, त…tag:www.openbooksonline.com,2018-03-02:5170231:Comment:9174172018-03-02T09:58:11.941ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>कंठस्थ हुआ, आदरणीय, सही है, तो कंठस्थ होना चाहिए और कंठस्थ हो जाएगा जैसे वाक्य क्यों सही नहीं हैं ? जबकि ये तीनों वाक्य काल के तीन विभिन्न भेदों का प्रारूप या उदाहरण हैं ? 'कंठस्थ' केवल भूतकाल को निरूपित नहीं करता। बल्कि यह स्मरण की दशा भी बताता है। यानी, कंठ में स्थापित हो जाएगा, या, पूरी तरह से याद हो जाएगा।</p>
<p>आदरणीय, उपर्युक्त तीनों वाक्य व्याकरण सम्मत होने से सही हैं।</p>
<p>सादर</p>
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<p>कंठस्थ हुआ, आदरणीय, सही है, तो कंठस्थ होना चाहिए और कंठस्थ हो जाएगा जैसे वाक्य क्यों सही नहीं हैं ? जबकि ये तीनों वाक्य काल के तीन विभिन्न भेदों का प्रारूप या उदाहरण हैं ? 'कंठस्थ' केवल भूतकाल को निरूपित नहीं करता। बल्कि यह स्मरण की दशा भी बताता है। यानी, कंठ में स्थापित हो जाएगा, या, पूरी तरह से याद हो जाएगा।</p>
<p>आदरणीय, उपर्युक्त तीनों वाक्य व्याकरण सम्मत होने से सही हैं।</p>
<p>सादर</p>
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