Comments - जब उठी उनकी नज़र (चार कवाफ़ी के साथ ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T00:19:22Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A914871&xn_auth=noजनाब समर साहिब! नज़रे इनायत के…tag:www.openbooksonline.com,2018-02-25:5170231:Comment:9160382018-02-25T18:43:28.685Zप्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'http://www.openbooksonline.com/profile/0ayrsuv60af6r
<p>जनाब समर साहिब! <br/><br/>नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपका कहना जायज़ है, काफिया का चुनाव गलत हुआ, खैर जो हो गया सो हो गया..... <br/><br/>बहरहाल आपका एक बार फिर से शुक्रिया इस खामी की निशानदिही के लिए। </p>
<p>जनाब समर साहिब! <br/><br/>नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपका कहना जायज़ है, काफिया का चुनाव गलत हुआ, खैर जो हो गया सो हो गया..... <br/><br/>बहरहाल आपका एक बार फिर से शुक्रिया इस खामी की निशानदिही के लिए। </p> जनाब प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दी…tag:www.openbooksonline.com,2018-02-25:5170231:Comment:9160212018-02-25T09:28:41.443ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>पूरी ग़ज़ल में क़ाफ़िया दोष है,मतले के ऊला मिसरे में 'जलने'क़ाफ़िया लिया गया है,जिसमें 'ने' क़ाफ़िया है और हर्फ़-ए-रवी 'ल' लेनिन सानी मिसरे में "मरने" क़ाफ़िया लिया गया है,जो ग़लत है,इसमें 'ने' क़ाफ़िया के साथ हर्फ़-ए-रवी 'र' होने से क़ाफ़िया दोष पैदा हो गया,मतले के ऊला मिसरे के बाद ग़ज़ल के क़वाफ़ी 'पलने''मलने'होना चाहिए थे,जो नहीं हैं ।</p>
<p>क़ाफिये के पहले बार बार आने वाले हर्फ़ (अक्षर) को हर्फ़-ए-रवी खते हैं ।</p>
<p>जनाब प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>पूरी ग़ज़ल में क़ाफ़िया दोष है,मतले के ऊला मिसरे में 'जलने'क़ाफ़िया लिया गया है,जिसमें 'ने' क़ाफ़िया है और हर्फ़-ए-रवी 'ल' लेनिन सानी मिसरे में "मरने" क़ाफ़िया लिया गया है,जो ग़लत है,इसमें 'ने' क़ाफ़िया के साथ हर्फ़-ए-रवी 'र' होने से क़ाफ़िया दोष पैदा हो गया,मतले के ऊला मिसरे के बाद ग़ज़ल के क़वाफ़ी 'पलने''मलने'होना चाहिए थे,जो नहीं हैं ।</p>
<p>क़ाफिये के पहले बार बार आने वाले हर्फ़ (अक्षर) को हर्फ़-ए-रवी खते हैं ।</p> शुक्रिया! ज़नाब श्याम नारायण व…tag:www.openbooksonline.com,2018-02-24:5170231:Comment:9156052018-02-24T15:40:54.328Zप्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'http://www.openbooksonline.com/profile/0ayrsuv60af6r
<p>शुक्रिया! ज़नाब श्याम नारायण वर्मा जी। </p>
<p>शुक्रिया! ज़नाब श्याम नारायण वर्मा जी। </p> क्या बात है, बहुत उम्दा हार्द…tag:www.openbooksonline.com,2018-02-23:5170231:Comment:9152342018-02-23T10:40:42.418ZShyam Narain Vermahttp://www.openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
क्या बात है, बहुत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर
क्या बात है, बहुत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर