Comments - मुझे है भला क्या कमी जिंदगी से - Open Books Online2024-03-28T18:21:55Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A910330&xn_auth=noबहुत बहुत आभार आ तस्दीक अहमद…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-22:5170231:Comment:9107142018-01-22T13:31:39.641Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>बहुत बहुत आभार आ तस्दीक अहमद खान साहब जी </p>
<p>बहुत बहुत आभार आ तस्दीक अहमद खान साहब जी </p> जनाब आमोद बिंदोरी साहिब , ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-22:5170231:Comment:9106272018-01-22T13:19:48.639ZTasdiq Ahmed Khanhttp://www.openbooksonline.com/profile/TasdiqAhmedKhan
<p>जनाब आमोद बिंदोरी साहिब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाए। मतले का उला मिसरा यूँ करलें --मुझे कोई शिकवा नहीं ज़िन्दगी से </p>
<p>शेर2 , माशुकी कोई शब्द नहीं ,सही शब्द है माशूकी, उसे यूँ करसकते हैं ।</p>
<p>नहीं है शनासाई महफ़िल में अपनी --है पहचान मेरी तेरी दिलबरी से ।</p>
<p>शेर3 में ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करलें --हुआ सामना है कई बार मेरा ।</p>
<p>शेर4 सानी यूँ करलें --कि लगता है डर आजकी आशिक़ी से ।</p>
<p>शेर5 ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करलें --उजाला तो है हर किसी ज़रूरत…</p>
<p>जनाब आमोद बिंदोरी साहिब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाए। मतले का उला मिसरा यूँ करलें --मुझे कोई शिकवा नहीं ज़िन्दगी से </p>
<p>शेर2 , माशुकी कोई शब्द नहीं ,सही शब्द है माशूकी, उसे यूँ करसकते हैं ।</p>
<p>नहीं है शनासाई महफ़िल में अपनी --है पहचान मेरी तेरी दिलबरी से ।</p>
<p>शेर3 में ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करलें --हुआ सामना है कई बार मेरा ।</p>
<p>शेर4 सानी यूँ करलें --कि लगता है डर आजकी आशिक़ी से ।</p>
<p>शेर5 ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करलें --उजाला तो है हर किसी ज़रूरत -जहां में है निस्बत किसे तीरगी से ।</p>
<p style="text-align: center;">शेर6 ऐब तकाबुले रदीफैंन , यूँ करसकते हैं । मुझे नाम इक शख़्स का ही बता दो --गमों का जो करता हो सौदा खुशी से ।शेर7 यूँ करसकते हैं।</p>
<p style="text-align: center;">किसे जा के बतलायें हम अपनी उलझन -कोई बाज़ आता नहीं दिल्लगी से ।</p>
<p style="text-align: center;">शेर8 में कोई रब्त नहीं है ।शेर9 यूँ करलें ,।उतर कर निगाहों में उनकी ये जाना--है रिश्ता भी उनका अलम से खुशी से । </p>
<p style="text-align: center;">आखरी शेर उला बह्र में नहीं , यूँ करलें । सभी को बराबर न आमोद समझो --बड़ा फ़र्क़ है आदमी आदमी से । </p>
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<p></p> वाह वाह आदरणीय खूबसूरत ग़ज़ल हु…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9102722018-01-20T09:55:40.102Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह वाह आदरणीय खूबसूरत ग़ज़ल हुई.</p>
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<p>वाह वाह आदरणीय खूबसूरत ग़ज़ल हुई.</p>
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<p></p> आदरणीय अमोद जी आदाब,
…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-20:5170231:Comment:9103452018-01-20T02:20:02.642ZMohammed Arifhttp://www.openbooksonline.com/profile/MohammedArif
<p>आदरणीय अमोद जी आदाब,</p>
<p> ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है । गुणीजन अपनी राय देंगे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>आदरणीय अमोद जी आदाब,</p>
<p> ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है । गुणीजन अपनी राय देंगे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।</p> कई बार हँसकर के गुजरे हैं हमभ…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-19:5170231:Comment:9103322018-01-19T12:12:50.209Zamod shrivastav (bindouri)http://www.openbooksonline.com/profile/amodbindouri
<p>कई बार हँसकर के गुजरे हैं हमभी। तेरी आशिक़ी से तेरी बेरुख़ी से।।--आमोद बिंदौरी</p>
<p>कई बार हँसकर के गुजरे हैं हमभी। तेरी आशिक़ी से तेरी बेरुख़ी से।।--आमोद बिंदौरी</p>