Comments - ग़ज़ल - तेरी आँखों में अभी तक है अदावत बाकी - Open Books Online2024-03-28T20:28:19Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A908839&xn_auth=noअच्छी गजल हुई है ,हार्दिक बधा…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-16:5170231:Comment:9098282018-01-16T01:38:23.868Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>अच्छी गजल हुई है ,हार्दिक बधाई आ.</p>
<p>अच्छी गजल हुई है ,हार्दिक बधाई आ.</p> आ0 सुरेंद्र नाथ सिंह जी सादर…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-15:5170231:Comment:9096482018-01-15T05:42:12.062ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 सुरेंद्र नाथ सिंह जी सादर आभार ।</p>
<p>आ0 सुरेंद्र नाथ सिंह जी सादर आभार ।</p> आद0 नवीन मणि जी सादर अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-15:5170231:Comment:9096422018-01-15T00:37:55.232Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 नवीन मणि जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही, आद0 समर साहब के इस्लाह से उत्तम। समर सहाब को नमन और आपको इस ग़ज़ल पर बधाई</p>
<p>आद0 नवीन मणि जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही, आद0 समर साहब के इस्लाह से उत्तम। समर सहाब को नमन और आपको इस ग़ज़ल पर बधाई</p> अब ठीक है ।tag:www.openbooksonline.com,2018-01-13:5170231:Comment:9091882018-01-13T08:28:54.650ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अब ठीक है ।</p>
<p>अब ठीक है ।</p> आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभ…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-13:5170231:Comment:9091862018-01-13T08:21:44.074ZNaveen Mani Tripathihttp://www.openbooksonline.com/profile/NaveenManiTripathi
<p>आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार । आपका सुझाव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है । मैंने सुधार किया है ।</p>
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<p>आ0 कबीर सर सादर नमन के साथ आभार । आपका सुझाव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है । मैंने सुधार किया है ।</p>
<p> </p> जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-12:5170231:Comment:9089532018-01-12T12:10:08.768ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>मतले के सानी मिसरे में 'तोहमत' को "तुहमत" कर लें ।</p>
<p>दूसरे शैर के ऊला में 'बारहा' की जगह " इस तरह" कर लें ।</p>
<p></p>
<p>तीसरे शैर का सानी बह्र में नहीं है,'ज़मीर' की जगह "किरदार" कर लें ।</p>
<p>5वें शैर का ऊला यूँ करें :-</p>
<p>'मुस्कुरा कर वो गले मिलने लगा है मुझसे"</p>
<p>और सानी में 'कोई' की जगह "उसे" कर लें ।</p>
<p>छटा शैर हटा दें ।</p>
<p>आठवें का ऊला यूँ करें:-</p>
<p>'वो मुलाक़ात पे बैठा…</p>
<p>जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>मतले के सानी मिसरे में 'तोहमत' को "तुहमत" कर लें ।</p>
<p>दूसरे शैर के ऊला में 'बारहा' की जगह " इस तरह" कर लें ।</p>
<p></p>
<p>तीसरे शैर का सानी बह्र में नहीं है,'ज़मीर' की जगह "किरदार" कर लें ।</p>
<p>5वें शैर का ऊला यूँ करें :-</p>
<p>'मुस्कुरा कर वो गले मिलने लगा है मुझसे"</p>
<p>और सानी में 'कोई' की जगह "उसे" कर लें ।</p>
<p>छटा शैर हटा दें ।</p>
<p>आठवें का ऊला यूँ करें:-</p>
<p>'वो मुलाक़ात पे बैठा है लगा कर पहरा"</p>
<p>और सानी यूँ करें:-</p>
<p>'तेरे दरबार में कुछ रह गई रिश्वत बाक़ी'</p> खूब सुन्दर रचना tag:www.openbooksonline.com,2018-01-12:5170231:Comment:9091272018-01-12T10:27:06.799Znarendrasinh chauhanhttp://www.openbooksonline.com/profile/narendrasinhchauhan
<p>खूब सुन्दर रचना </p>
<p>खूब सुन्दर रचना </p>