Comments - बुलाऊँ नींद, तेरा आना अब ज़रूरी है-ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T10:53:24Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A908818&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत आ…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-16:5170231:Comment:9097442018-01-16T06:01:33.493ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत आभार</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण सर बहुत बहुत आभार</p> हार्दिक बधाई ।tag:www.openbooksonline.com,2018-01-16:5170231:Comment:9099152018-01-16T01:34:04.708Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>हार्दिक बधाई ।</p>
<p>हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय अजय जी आपकी बहुत बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-13:5170231:Comment:9095142018-01-13T12:17:04.476ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
<p>आदरणीय अजय जी आपकी बहुत बहुत शुक्रिया, ऐसी गल्ती मुझसे अक्सर हो रही, मेरी लापरवाही</p>
<p>आदरणीय अजय जी आपकी बहुत बहुत शुक्रिया, ऐसी गल्ती मुझसे अक्सर हो रही, मेरी लापरवाही</p> आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, मत्…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-13:5170231:Comment:9092612018-01-13T12:16:00.396ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, मत्ले के सानी मिसरे में अभी कुछ अच्छा सूझ नहीं रहा, कपके सहयोग की ज़रूरत है।<br />
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ददूसरे शेर की कहन अभी सही करने की कोशिश करता हूँ।
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, मत्ले के सानी मिसरे में अभी कुछ अच्छा सूझ नहीं रहा, कपके सहयोग की ज़रूरत है।<br />
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ददूसरे शेर की कहन अभी सही करने की कोशिश करता हूँ। सत्य वचन ।
tag:www.openbooksonline.com,2018-01-13:5170231:Comment:9092602018-01-13T12:02:26.233ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>सत्य वचन ।</p>
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<p>सत्य वचन ।</p>
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<p></p> आदरणीय पंकज जी, अच्छे अशआर हु…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-13:5170231:Comment:9092542018-01-13T11:50:30.008ZAjay Tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/AjayTiwari
<p>आदरणीय पंकज जी, अच्छे अशआर हुए है, हार्दिक बधाई.</p>
<p>'दीद' स्त्रीलिंग है, इस लिए इस के साथ 'तुम्हारी' का प्रयोग बेहतर होगा.</p>
<p>सादर </p>
<p>आदरणीय पंकज जी, अच्छे अशआर हुए है, हार्दिक बधाई.</p>
<p>'दीद' स्त्रीलिंग है, इस लिए इस के साथ 'तुम्हारी' का प्रयोग बेहतर होगा.</p>
<p>सादर </p> अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-12:5170231:Comment:9091072018-01-12T05:49:41.244ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के सानी मिसरे में 'निगाहें' शब्द बहुवचन है और रदीफ़ एक वचन में देखियेग ।</p>
<p>दूसरे शैर में क्या कहना चाहते हैं?भाव स्पष्ट नहीं ।</p>
<p>तीसरे शैर में ये ग़लत मशविरा किसने दे दिया आपको ।</p>
<p>अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के सानी मिसरे में 'निगाहें' शब्द बहुवचन है और रदीफ़ एक वचन में देखियेग ।</p>
<p>दूसरे शैर में क्या कहना चाहते हैं?भाव स्पष्ट नहीं ।</p>
<p>तीसरे शैर में ये ग़लत मशविरा किसने दे दिया आपको ।</p>