Comments - माँ के हाथों से जब खाया जाता है (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T09:06:57Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A908420&xn_auth=noवाह वाह बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-12:5170231:Comment:9091172018-01-12T09:19:17.420Zsurender insanhttp://www.openbooksonline.com/profile/surenderinsan
<p>वाह वाह बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करे भाई सुरेन्द्र जी।</p>
<p>वाह वाह बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करे भाई सुरेन्द्र जी।</p> आ सुरेन्द्र नाथ सिंह जी बहुत…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-12:5170231:Comment:9088362018-01-12T04:15:58.186ZKalipad Prasad Mandalhttp://www.openbooksonline.com/profile/KalipadPrasadMandal
<p>आ सुरेन्द्र नाथ सिंह जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p>
<p>आ सुरेन्द्र नाथ सिंह जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें </p> आ. भाई सुरेंद्र जी, सुंदर गजल…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-11:5170231:Comment:9087622018-01-11T06:32:57.833Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुरेंद्र जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सुरेंद्र जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> वाह आदरणीय क्या शानदार ग़ज़ल कह…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-10:5170231:Comment:9084842018-01-10T16:35:36.525Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह आदरणीय क्या शानदार ग़ज़ल कही..सादर</p>
<p>वाह आदरणीय क्या शानदार ग़ज़ल कही..सादर</p> जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-09:5170231:Comment:9085642018-01-09T17:42:43.099ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबफ पेश करता हूँ ।</p>
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबफ पेश करता हूँ ।</p> वाह्ह्ह बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-09:5170231:Comment:9084602018-01-09T15:57:42.202Zrajesh kumarihttp://www.openbooksonline.com/profile/rajeshkumari
<p><span>वाह्ह्ह बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है भैया शेर दर शेर दाद स्वीकारें </span></p>
<p><span>होती है घर में बरकत ही बरकत जब </span></p>
<p>मुफ़लिस को महमान बनाया जाता है ।।--ऐसा करने से मफ्हूम ज्यादा साफ़ होगा </p>
<p></p>
<p><span>वाह्ह्ह बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है भैया शेर दर शेर दाद स्वीकारें </span></p>
<p><span>होती है घर में बरकत ही बरकत जब </span></p>
<p>मुफ़लिस को महमान बनाया जाता है ।।--ऐसा करने से मफ्हूम ज्यादा साफ़ होगा </p>
<p></p> आद0 मोहित मुक्त जी सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-09:5170231:Comment:9083962018-01-09T05:36:53.733Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 मोहित मुक्त जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत आभार।</p>
<p>आद0 मोहित मुक्त जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत आभार।</p> आद0 श्याम नारायण वर्मा जी साद…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-09:5170231:Comment:9083952018-01-09T05:35:41.461Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 श्याम नारायण वर्मा जी सादर धन्यवाद</p>
<p>आद0 श्याम नारायण वर्मा जी सादर धन्यवाद</p> आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवाद…tag:www.openbooksonline.com,2018-01-09:5170231:Comment:9084472018-01-09T05:34:56.391Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। सादर</p>
<p>आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर उपस्थिति और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया। सादर</p> बहूत उम्दा हार्दिक बधाईtag:www.openbooksonline.com,2018-01-08:5170231:Comment:9082882018-01-08T16:16:54.467ZShyam Narain Vermahttp://www.openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई
बहूत उम्दा हार्दिक बधाई