Comments - चिलबिल और कैमर - Open Books Online2024-03-29T12:20:40Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A902465&xn_auth=noजनाब सोमेश कुमार जी आदाब,इस भ…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-11:5170231:Comment:9026892017-12-11T08:44:55.534ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,इस भवपूर्ण प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सोमेश कुमार जी आदाब,इस भवपूर्ण प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।</p> Sheikh Shahzad Usmani भाई जी…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-10:5170231:Comment:9028552017-12-10T10:00:56.042Zsomesh kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/someshkuar
<p><span> </span><a class="fn url" href="http://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani">Sheikh Shahzad Usmani भाई जी</a></p>
<p>रचना पर विशद दृष्टी डालने एवं उसमें व्याप्त जीवन-तत्वों को पहचानने के लिए शुक्रिया | रचना को जिस गहनता से आप पड़ताल करते हैं उससे आपका विशद व्यक्तित्व और ज्ञानपूर्णता का बोध होता है |अगर रचना में कोई दोष,कमी नजर आए तो उसे भी इंगित करें ताकि सुधार किया जा सके और आपका ये अनुज आपकी गहनता का कुछ अंश प्राप्त कर पाए|</p>
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<p>क्षमाप्रार्थी हूँ कि अपनी…</p>
<p><span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani" class="fn url">Sheikh Shahzad Usmani भाई जी</a></p>
<p>रचना पर विशद दृष्टी डालने एवं उसमें व्याप्त जीवन-तत्वों को पहचानने के लिए शुक्रिया | रचना को जिस गहनता से आप पड़ताल करते हैं उससे आपका विशद व्यक्तित्व और ज्ञानपूर्णता का बोध होता है |अगर रचना में कोई दोष,कमी नजर आए तो उसे भी इंगित करें ताकि सुधार किया जा सके और आपका ये अनुज आपकी गहनता का कुछ अंश प्राप्त कर पाए|</p>
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<p>क्षमाप्रार्थी हूँ कि अपनी व्यस्तताओं के चलते मंच पर बहुत कम रहता हूँ और मंच पर आने वाली गहन अर्थपूर्ण रचनाओं और साथियों से यदा-कदा ही साक्षात्कार हो पाता है |फिर भी मंच पर अब तक जो स्नेह एवं आशीर्वाद मिला है वही मेरी प्ररेणा स्त्रोत है |</p>
<p>मंच के साथियों का स्नेह एवं गुरुजनों का आशीष बना रहे बस यही आशा है |</p>
<p></p> हार्दिक आभार सहित ढेर सारी बध…tag:www.openbooksonline.com,2017-12-10:5170231:Comment:9025702017-12-10T04:15:55.140ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>हार्दिक आभार सहित ढेर सारी बधाइयां और शुभकामनाएं आदरणीय सोमेश कुमार जी। परत - दर- परत खोलती इस तरह की बेहद भावपूर्ण, विचारोत्तेजक और प्रभावोत्पादक तीखी रचनाओं से आप पाठकों के आंसू नहीं रोक सकते। अपने वतन, अपनी ज़मीन, और अपने शुद्ध ग्रामीण पर्यावरण और परिवेश और उन अपनों से प्रेम करने वाले 'ललन'/'लल्लन' जैसे भारतीय के जज़्बात और विपरीत परिवर्तित परिस्थितियों से रूबरू होना आपने बाख़ूबी शाब्दिक किया है। बदलती हवाओं ने हमारे गांवों और गांववासियों को भी काफी बदल कर रख दिया है। एक साथ सब कुछ समेट…</p>
<p>हार्दिक आभार सहित ढेर सारी बधाइयां और शुभकामनाएं आदरणीय सोमेश कुमार जी। परत - दर- परत खोलती इस तरह की बेहद भावपूर्ण, विचारोत्तेजक और प्रभावोत्पादक तीखी रचनाओं से आप पाठकों के आंसू नहीं रोक सकते। अपने वतन, अपनी ज़मीन, और अपने शुद्ध ग्रामीण पर्यावरण और परिवेश और उन अपनों से प्रेम करने वाले 'ललन'/'लल्लन' जैसे भारतीय के जज़्बात और विपरीत परिवर्तित परिस्थितियों से रूबरू होना आपने बाख़ूबी शाब्दिक किया है। बदलती हवाओं ने हमारे गांवों और गांववासियों को भी काफी बदल कर रख दिया है। एक साथ सब कुछ समेट लेते हैं आप प्रवाहमय भावपूर्ण रचना में, यह आपके लेखन शैली की विशेषता है। आप कहानीकार और उपन्यासकार भी हैं, तो एक बेहतरीन लघुकथाकार की लेखनी भी है आपके पास, क्योंकि सूक्ष्म से सूक्ष्म पल भर की विसंगति पर आपकी पैनी नज़र और पकड़ आपकी इन रचनाओं में दिखाई देती है। तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद और आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी। 'चिलबिल' के साथ मेरी तरह सभी पाठकों के अनुभव भी जुड़े हुए हैं। </p>
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<li><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/someshkuar">somesh kumar</a><a class="nolink"><span> जी।</span></a><a class="xg_sprite xg_sprite-message" id="send-message-link" href="http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:902465#" style="font-size: 13px;" name="send-message-link"></a></li>
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